जान कर भले ही आपको ताज्जुब हुआ हो पर ऐसा एक सर्वे होने के बाद पता चला है. इसे पढ़ने के बाद शायद आपको रियलाइज होगा कि सही में आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता है. फ्रेंड्स लिस्ट में हम लोगों को एड करते टाइम ये नहीं  देखते हैं कि हम उन्हें सही में जानते हैं या नहीं. वो चाहे हमारे फ्रेंड्स के भी फ्रेंड्स हो फिर भी हम उन्हें एड करते चले जाते है.  हम ऐसा सिर्फ और सिर्फ लोगों की पिक्चर्स को ऑनलाइन चेक करने के लिए और गॉसिप में इंवॉल्व होने के लिए करते हैं.

हां और अगर इन फ्रेंड्स से पर्सनली मिलने की बात आए तो आप सिर्फ 10 पर्सेंट लोगों से मिलना पसंद करेंगे.

कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि हम कुछ लोगों से जुड तो जाते हैं पर बाद में उनके फालतू के अपडेट्स से इतने दुखी हो जाते हैं कि उन्हें अपनी फ्रेंडलिस्ट से हटाने की तो सोचते हैं पर सोशल नेटवर्किंग पर सोशल रिलेशंस के चलते हटा नहीं पाते.

हम कुछ लोगों को रेग्युलर रिप्लाय नहीं करते हैं पर फिर भी उनसे जुडे रहना चाहते हैं क्योंकि हम कहीं ना कहीं उनकी लाइफ से जुड़ी हर हरकत पर नजर रखना चाहते हैं.

यानि हम कह सकते हैं कि सोशल नेटवर्किंग की वर्च्युअल दुनिया में हमारे रियल फ्रेंड्स सही में बहुत कम होते हैं जिनके पोस्ट्स पर हम रिप्लाय या फिर जिनसे चैट करना पसंद करते है. लाइक करके हम लोगों के सामने अपनी प्जेंस तो शो करते रहते हैं पर कमेंट्स हम अपनो की पोस्ट्स पर ही करते हैं.

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