- नियमों को ताक पर रख जल संस्थान करा रहा मैनुअल स्केवेंजिंग

- 10 वर्ष के भीतर 22 में से 10 कर्मचारियों की हो चुकी मौत

देहरादून।

जल संस्थान में सीवर विंग के 22 में से 10 कर्मचारियों (मैनुअल स्केवेंजर्स) की जिंदगी सीवर ही लील गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मैनुअल स्केवेंजिंग को बैन किए जाने के बावजूद जल संस्थान द्वारा कर्मचारियों को सफाई के लिए सीवर में उतारा जा रहा है। इसके कारण उन्हें कई तरह की बीमारियां घेर रही हैं और रिटायरमेंट की उम्र से पहले ही मौत हो जा रही है। इसी तरह 10 कर्मचारियों की मौत के बाद उनके आश्रितों को जल संस्थान ने नौकरी तो दी, लेकिन उनमें से भी अधिकांश से सीवर की सफाई ही कराई जा रही है।

किट यूज नहीं करते कर्मचारी

जल संस्थान का कहना है कि सीवर जेटिंग मशीनें पर्याप्त संख्या में अवेलेबल नहीं हैं, ऐसे में मैनुअल स्केवेंजिंग (वर्कर्स द्वारा सीवर लाइन की सफाई) का सहारा लेना पड़ता है, मजबूरी में कर्मचारियों को सीवर में उतारना पड़ता है। कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए उन्हें किट दी जाती है, जिसमें हेलमेट, जैकेट, ग्लव्ज होते हैं। लेकिन कर्मचारी असुविधा की बात कह किट को यूज नहीं करते।

सीवर के साइज से कर्मचारी का चयन

सीवर के साइज के हिसाब से जल संस्थान कर्मचारी को इसमें उतारता है। मसलन छोटे चेंबर वाले सीवर में पतले कर्मचारी को और बड़े चेंबर में हेल्दी कर्मचारी को उतारा जाता है।

चेंबर ढहने का भी खतरा

सीवर चेंबर में उतरने में रिस्क सिर्फ गंदगी का ही नहीं है, पुरानी सीवर लाइनें मजबूत नहीं हैं, ऐसे में कभी भी सीवर चेंबर की दीवार गिर सकती है। जिससे जान का खतरा बना रहता है। 10 दिन पहले ही चुक्खूवाला पीनएटी कॉलोनी में मरम्मत के दौरान पुराने सीवर चेंबर की दीवार मजदूर पर गिर गई थी। हालांकि, उसे तुरंत हॉस्पिटेलाइज करा दिया गया तो उसकी जान बच गई।

एई को 3 बार टायफाइड

मैनुअल स्केवेंजिंग में बीमारियों का खतरा बना रहता है। जल संस्थान के एक असिस्टेंट इंजीनियर जिसे मैनुअल स्केवेंजिंग की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है, उसे तीन बार टायफाइड हो चुका है। वह कई बार उच्चाधिकारियों से जिम्मेदारी बदलने की गुजारिश कर चुका है, लेकिन उसका कहना है कि सुनवाई नहीं हो रही।

बच्चे पूछते हैं साइट दिखाओ, तो जवाब देते नहीं बनता

असिस्टेंट इंजीनियर बताता है कि कई बार बच्चे जिद करते हैं, कि वे अपनी बनाई हुई बिल्डिंग या साइट पर उन्हें विजिट कराएं। लेकिन, ऐसे में जवाब देते नहीं बनता कि उन्हें क्या बताया जाए। उसे तो सीवर की सफाई की मॉनिटरिंग का काम मिला हुआ है।

4 डिविजन, 2 सीवर जेटिंग मशीन

दून सिटी एरिया में जल संस्थान के 4 डिविजन हैं। लेकिन, सीवर सफाई के लिए केवल दो जेटिंग मशीन ही विभाग के पास हैं। वह भी साउथ डिविजन के पास है, दूसरे डिविजन को जरूरत पड़ती है तो मशीन मूव करा दी जाती है। लेकिन, इस मशीन से भी सिर्फ सीवर की गंदगी खींची जा सकती है, मलबा हो तो कर्मचारी को ही मैनुअल सफाई करनी पड़ती है।

दून में सीवर कनेक्शन- 46 हजार

सीवर जेटिंग मशीन-2

इनकी हो चुकी असमय मौत

बसंता, रामपरीखा, सुरेश, प्रताप, चमन, सुरेश, रमेश, राकेश, अकबर, संजय।

सीवर सफाई का काम करना बेहद टफ है। ऐसे में कर्मचारियों से बेहद मुश्किल से ये काम करवाया जाता है। एडीबी विंग की ओर से एडवांस सीवर जेटिंग मशीन दिए जाने का वादा किया गया था जो कि पूरा नहीं किया गया।

- सुबोध कुमार, एसई, जल संस्थान