देखिए 100 सालों में कितना बदल गया 1 रुपया का नोट

- इंडिया में एक रुपया का पहला नोट 30 नवंबर 1917 को जारी किया गया

ब्रिटिश इंडिया से आधुनिक भारत तक एक रुपया का 100 सालों में सफर

- आजादी के बाद पहला नोट वर्ष 1949 में जारी किया गया।

ब्रिटिश इंडिया से आधुनिक भारत तक एक रुपया का 100 सालों में सफर

- एक रुपया के नोट 1949 से 1994 तक लगातार छपते रहे। 1995 से यह बढ़ते खर्च के कारण बंद कर दिये गये।

ब्रिटिश इंडिया से आधुनिक भारत तक एक रुपया का 100 सालों में सफर

100 साल का हुआ 1 रुपया : तब एक रुपया था 13 अमेरिकी डॉलर के बराबर, इतने में मिल जाते थे 5 सेर चावल

- 2015 से एक रुपया के नोट फिर से छपने शुरु हुए और 2017 तक छप चुके हैं

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- एक रुपया के नोट भारत सरकार की ओर से छापे जाते हैं जबकि अन्य सारे नोट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से छापे जाते हैं

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- एक रुपया के नोट में फाइनेंस सेक्रेटरी का हस्ताक्षर होता है जबकि अन्य नोटों में रिजर्व बैंक के गवर्नर का

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- एक रुपया के नोटों को छोड़कर अन्य सभी नोटों में यह लिखा होता है कि मैं धारक को (कीमत अंकों में) रुपये अदा करने का वचन देता हूं

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- एक रुपया के नोट के साथ वर्ष 1917 में ढाई रुपये का नोट भी जारी किया गया था।

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- ब्रिटिश पीरियड में एक रुपया के नोट 1917, 1935 और 1940 में निकले।

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नये साल में मिलेगा 1 रुपये के नोट का तोहफा

- 1935 में निकले नोट में जेडब्ल्यू केली के सिग्नेचर थे और 1940 में निकले नोट में सीई जोंस के सिग्नेचर थे।

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- आजाद भारत में 1949 से एक रुपया के नोटों के निकलने का सिलसिला शुरु हुआ और इनपर पहला सिग्नेचर केआरके मेनन का था।

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- पहले नोट में सिक्के की जगह बैक साइड में फ्लोरल मोटिफ था। 1949 से ये नोट 1994 तक निकलते रहे।

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- 1950 में जो नोट जारी हुआ उसमें फ्लोरल मोटिफ का स्थान एक रुपया के सिक्के ने ले लिया। इसके बाद यह सिलसिला लगातार चला।

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- 1994 में बंद होने के बाद वर्ष 2015 से एक रुपया के नोट फिर से निकलने लगे और 2017 तक यह सिलसिला जारी है।

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