नई दिल्ली (एएनआई)। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राज्य पुलिस बलों ने गुरुवार को पूरे भारत में तलाशी अभियान चलाया। भारत के 15 राज्यों में 93 जगहों की गई संयुक्त तलाशी में पीएफआई नेताओं और सदस्यों के घर और कार्यालय शामिल है। यह पीएफआई के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जांच प्रक्रिया है। इस दाैरान उसके 106 पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं पीएफआई और एसडीपीआई कार्यकर्ताओं ने छापेमारी के खिलाफ कर्नाटक के मंगलुरु में विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद उन्हें राज्य पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पीएफआई कार्यकर्ता चेन्नई में पार्टी कार्यालय पर एनआईए की छापेमारी के विरोध में सड़क पर बैठ गए।

इन राज्यों में कई छापेमारी
एजेंसियों द्वारा जिन राज्यों में छापे मारे गए उनमें आंध्र प्रदेश (4 स्थान), तेलंगाना (1), दिल्ली (19), केरल (11), कर्नाटक (8), तमिलनाडु (3), उत्तर प्रदेश (1), राजस्थान (2 स्थान) , हैदराबाद (5), असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, बिहार और मणिपुर शामिल हैं। कंटीन्यू इनपुट और एविडेंस के बाद एनआईए द्वारा दर्ज पांच मामलों के संबंध में तलाशी ली गई थी कि पीएफआई नेता कैडर आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में शामिल थे। इसके अलवा सशस्त्र प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करते और लोगों को प्रतिबंधित संगठन में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी बनाते थे।

आपराधिक मामले दर्ज हुए
पीएफआई और उसके नेताओं और सदस्यों के खिलाफ कई हिंसक कृत्यों में शामिल होने के लिए पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। पीएफआई द्वारा किए गए आपराधिक हिंसक कृत्यों में एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े व्यक्तियों की निर्मम हत्याएं करना, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटकों का संग्रह, इस्लामिक स्टेट को समर्थन और आम जनता की संपत्ति को नष्ट करना शामिल है। बता दें कि छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज, नकदी, धारदार हथियार और बड़ी संख्या में डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं।

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