RANCHI: राजधानी में लोगों को इमरजेंसी में हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए 108 एंबुलेंस सर्विस की शुरुआत की गई थी। वहीं ड्राइवर से लेकर टेक्नीशियन को पहचान के लिए आई कार्ड भी जारी किया गया था। लेकिन कुछ महीनों से स्टाफ और ड्राइवर बिना आईकार्ड के ही सिटी में घूम रहे हैं। वहीं पेशेंट्स के परिजनों के साथ भी इनका मिसबिहेव करने का सिलसिला जारी है। इसी का फायदा उठाकर ये लोग बिना रोक-टोक के काम कर रहे हैं।

कंप्लेन को नहीं हो रही पहचान

एंबुलेंस में वैसे तो गंभीर मरीजों को लेकर परिजन पहुंचते हैं। उन्हें इलाज कराने की जल्दी होती है। लेकिन एंबुलेंस के स्टाफ पेशेंट्स को जल्दी उतारकर भागने में लगे रहते हैं। इस चक्कर में परिजनों से बकझक होती है। इतना ही नहीं, कई बार ये लोग परिजन को बिना बताए ही मरीज को एंबुलेंस से उतार देते हैं। ऐसे में आईकार्ड नहीं होने से कंप्लेन करने के लिए उनकी पहचान नहीं हो पाती।

परिजनों को धमकाते हैं स्टाफ

हर एंबुलेंस में एक ड्राइवर व एक टेक्नीशियन होता है। वहीं जरूरत पड़ने पर एक स्टाफ को भी भेजा जाता है। ये लोग बिना आईकार्ड के ही ड्यूटी करते हैं। वहीं पेशेंट को उतारते समय परिजनों को धमकाते भी हैं। लेकिन इलाज के लिए आने वाले परिजन पहले मरीज की स्थिति देखते हैं और बिना कुछ कहे अपने मरीज को इलाज के लिए ले जाते हैं। इस चक्कर में भी एंबुलेंस स्टाफ का मन बढ़ गया है।

केस-1

मरीज का हटा दिया ऑक्सीजन

राजीव कुमार अपनी आंटी को लेकर इमरजेंसी में पहुंचे। इस दौरान उन्हें पेशेंट को उतारने के लिए कहा गया। जब रिम्स की ट्राली लेकर ट्रालीमैन आया तो उसने आक्सीजन हटा दिया। साथ ही कहा कि मरीज को ऐसे ही ले जाना होगा। इस पर राजीव ने कंप्लेन करने की बात कही, लेकिन स्टाफ का नाम ही पता नहीं चल पाया।

केस-2

परिजन को देख लेने की दे डाली धमकी

सूरज कुमार अपने परिजन को गंभीर हालत में लेकर इमरजेंसी पहुंचे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। 108 एंबुलेंस से उतारकर इमरजेंसी ले जाने को कहा गया। लेकिन एंबुलेंस स्टाफ ने ट्राली लेकर आने के बाद ही पेशेंट को उतारने की बात कहीं। इसे लेकर परिजनों और स्टाफ के बीच थोड़ी बकझक भी हुई। वहीं देख लेने की धमकी भी दे डाली।