आधी-अधूरी तैयारी के बीच कैंप कंपनी टेकओवर करने जा रही 108 एम्बुलेंस सर्विस

बिना ट्रेंड किए ही ईएमटी और ड्राइवर कर्मी उतरने वाले हैं फील्ड में

अब तक 45 दिन की ट्रेनिंग और रिफ्रेशर ट्रेंिनंग थी अनिवार्य

देहरादून,

इमरजेंसी सेवा 108 जिन ईएमटी और पायलट स्टाफ के हाथों में सौंपे जाने वाली है. उनको बिना ट्रेंड किए ही कैंप- कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशनल प्रोग्राम कंपनी द्वारा फील्ड में उतारने की तैयारी है. कंपनी का दावा है कि जल्द ही वो एम्बुलेंस सेवा को टेकओवर करने जा रही है. कंपनी द्वारा नए कर्मचारियों को 3 दिन की बेसिक जानकारी दी जा रही है. जबकि एम्बुलेंस सेवा 108 को रन कराने के लिए कर्मचारियों को कम से कम 45 दिन की ट्रेनिंग दी जानी जरूरी है.

टेकओवर करने में दो महीने की देरी

इमरजेंसी सेवा 108 एंबुलेंस का ऑपरेशन अब कैंप कंपनी संभालने जा रही है. चार बार एक्सटेंशन देने के बाद जीवीके ईएमआरआई के हाथों से धीरे-धीरे सॉफ्टवेयर और रन कराने की प्रोसेस कैंप कंपनी संभालने लग गई है. हालांकि एम्बुलेंस सेवा 108 के हालात इन दिनों बजट के अभाव में किसी से छिपे नहीं हैं. हर तरफ एम्बुलेंस सेवा प्रभावित हो गई है. ऐसे में नई कंपनी के सामने 108 सेवा को पटरी पर लाना बड़ा चैलेंज साबित हो रहा है. करीब 2 माह की जद्दोजहद के बाद कैंप कंपनी जिम्मेदारी लेने की बात तो कर रही है, लेकिन जो 600 स्टाफ और कर्मचारी कैंप कंपनी ने रिक्रूट किया है. उसको बिना टे्रंड किए ही फील्ड में उतारा जा रहा है. एम्बुलेंस में एक ईएमटी- इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन और एक एक ड्राइवर तैनात होता है. उनको 2 शिफ्ट में कार्य करना होता है. ईएमटी कर्मी फार्मासिस्ट होता है. जिसको 45 दिनों की मेडिकल इमरजेंसी की ट्रेनिंग दी जाती है. उसे एम्बुलेंस में मौजूद इक्विपमेंट, दवाइयों और अन्य जरूरी जानकारी दी जाती है, ताकि रास्ते में मरीज को उपचार दिया जा सके. इसके साथ एक ड्राइवर होता है. जो एम्बुलेंस को चलाने में सक्षम हो. ड्राइवर को भी मेडिकल संबंधी जरूरी जानकारी देनी होती है. इसके लिए एम्बुलेंस सर्विस रन करने वाली कंपनी कम से कम 45 दिन की ट्रेनिंग कराती है.

आधी-अधूरी तैयारी

आधी-अधूरी तैयारी के साथ कैंप कंपनी 108 एम्बुलेंस सर्विस को रन कराने जा रही है. इमरजेंसी सेवा देने के लिए स्टाफ और कर्मचारी को ट्रेंड कराना जरूरी होता है. ऐसे में सिटी के अलावा दूरस्थ पहाड़ों में कैंप कंपनी के नए कर्मचारी कैसे मरीजों को ट्रीट करते हैं, ये बड़ा सवाल है. खास बात ये है कि स्वास्थ्य विभाग ने इस बार जुर्माने का भी प्रावधान किया है. यदि कंपनी रिस्पांस टाइम, गुणवत्ता, मानव संसाधन और रखरखाव में लापरवाही बरतती है तो जुर्माना वसूला जाएगा.

कैसे दौड़ेगी घाटे की एम्बुलेंस

कैंप द्वारा एक एम्बुलैंस का टेंडर एक लाख 18 हजार रुपए में लिया गया है. जबकि जीवीके ईएमआरआई का एक एम्बुलेंस का खर्चा 1 लाख 40 हजार तक बैठ जाता है. ऐसे में नई कंपनी 22 हजार का नुकसान एक एम्बुलेंस पर किस तरह से मेनेज करेगी. ये बड़ा सवाल है.

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कंपनी द्वारा 600 स्टाफ की भर्ती की जा चुकी है. सभी कर्मचारियों को 3 दिन तक बेसिक जानकारी दी जा रही है. जिसको कम जानकारी होगी, उसे 1-2 दिन और टे्रं्रड कर दिया जाएगा.

अनिल शर्मा, जीएम प्रोजेक्ट, कैंप

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जीवीके ईएमआरआई द्वारा अपने सभी कर्मियों को 45 दिन की फाउंडेशन ट्रेनिंग और 1 वर्ष में 2 रिफ्रेशर ट्रेनिंग दी जाती थी, जिससे एम्बुलेंस में मरीजों को सही उपचार मिल सके.

मनीष टिंकू, स्टेट हेड, जीवीके ईएमआरआई

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दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा एम्बुलेंस सेवा 108 और केकेएस की सर्विस को लेकर प्रकाशित खबर टेकओवर से पहले ही आईसीयू में 108 एम्बुलेंस पर संडे को जबरदस्त रिस्पांस मिला है. पब्लिक द्वारा दून के अलावा पूरे प्रदेशभर से 108 के हालातों पर अपनी नाराजगी दर्ज कराई गई है.

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जीवीके से कैम्प को टेंडर दे दिया गया है इतनी आवश्यक सेवा उस नौसिखिया कम्पनी के हाथों में जिम्मेदारी दी है, जिसे अभी तक आपातकालीन सेवा चलाने का कोई अनुभव नहीं है. जस तरह कंपनी ने बहुत ही कम दाम पर टेंडर लिया है. उस दाम पर यह सेवा चलाना असंभव है. कम दाम पर टेंडर लेने से कम्पनी फील्ड कर्मचारी को कम वेतन पर अकुशल कर्मचारियों की भर्ती कर रही हैं.

कमल अधिकारी, अल्मोड़ा

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यह टेंडर सरकार द्वारा अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए दिया गया है. यह राज्य का दुर्भाग्य है कि एक ओर सरकार रोजगार देने की बात कर रही है दूसरी और 900 कर्मचारियों का रोजगार छीना जा रहा है. सरकार को कैम्प कम्पनी के साथ वार्ता कर पुराने कर्मचारियों को उसी वेतन पर भर्ती करें जिस वेतन पर वो पहले सेवा दे रहें हैं. जिससे हमें इस राज्य से पलायन न करना पडे़.

संजय अग्रवाल, उत्तरकाशी

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इमरजेंसी सेवा के लिए ट्रेंड कर्मचारी को भर्ती करने की जरूरत है. किसी के जीवन से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. कम्पनी अनट्रेंड कर्मचारी को भर्ती करके लोगों के जीवन को खतरे में डालकर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है. इतने कम रेट पर टेंडर लेकर ये कम्पनी इस सेवा को नहीं चला सकती और एक दो महीने में इसकी व्यवस्था चरमरा जाएगी जब दाम कम होते हैं तो निश्चित है कि उसकी क्वालिटी मे गिरावट होगी ही होगी.

प्रवीन नेगी, चमोली

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एक तरफ़ 108 कर्मचारी दूर-दूर पहाड़ों में हर जगह पहुंचकर स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं दूसरी ओर सरकार ऐसे ही कर्मचारियों को बेरोज़गार करने में तुली है. परिस्थितियां इतनी ख़राब हो चुकी है की पहले 108 सेवा में ईएमटी और पायलेट की ट्रेनिंग होती थी जिसमें ईएमटी की 52 दिन की ट्रेनिंग दी जाती थी, जिसमें 108 सेवा स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराई जाती थी. अब हालत इतनी ख़राब हो चुकी है कि इन एंबुलैंस में बिना ट्रेनिंग के स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराएंगे.

शिवशंकर, हरिद्वार

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फील्ड कर्मचारियों के साथ कैंप कंपनी जो षड्यंत्र रच रही है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर सरकार ने हमारी मागें नहीं मानी तो हम फील्ड कर्मचारी राजभवन तक दस्तक दे सकते हैं. सरकार टेंडर किसी भी कंपनी को दे. इससे हमें कोई फर्क नही पड़ता. हमें सेवाएं देने और पॉलिसी से मतलब है. देखना है सरकार क्या स्टैंड लेती है.

मंगतराम, देहरादून