लखनऊ, (ब्यूरो)। Coronavirus: COVID 19 Impact कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने विचाराधीन बंदियों की रिहाई का फैसला लिया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी समादेश के पालन में लिया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्षों से अनुरोध किया है कि विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहाई की व्यवस्था करें। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित हाई पावर कमेटी के निर्देशानुसार जारी किया गया है।

हाईपावर कमेटी ने लिया था निर्णय

हाई पावर कमेटी में उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी कारागार उत्तर प्रदेश शामिल हैं। दरअसल, 27 मार्च 2020 को हाई पावर कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार (विदेशी नागरिकों को छोड़कर) उन सभी विचाराधीन कैदियों, जिन्हें अधिकतम सात वर्ष तक की सजा के अपराध में जेलों में रखा गया है, सभी को आठ सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा किया जाएगा। इस कार्य के लिए सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेटों सहित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जेलों में जाकर बंदियों का व्यक्तिगत बांड लेंगे कि वे आठ सप्ताह की अवधि पूरी होने के बाद अदालतों में समर्पण करेंगे और उनसे जमानत अर्जी प्राप्त कर जमानत पर रिहा करने की व्यवस्था करेंगे.

लीगल मॉनीटरिंग टीम को भेजी जाएगी सूचना

कमेटी ने यह भी निर्णय लिया कि अंतरिम जमानत देने के लिए जेल स्टाफ, जेल पैरा लीगल वालंटियर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता पैनल की मदद ली जाएगी। प्रदेश स्तरीय अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी सप्ताह में एक बैठक कर इस संबंध में जिला अथारिटी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत दिशा-निर्देश जारी करती रहेगी। संबंधित जेल अधीक्षक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के संपर्क में रहेंगे। यह भी कहा गया है कि स्टेट लीगल मॉनीटरिंग टीम को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा होने वालों की प्रतिदिन सूचना भेजी जाए, जो कि मामले की मॉनीटरिंग कर रही है। यह आदेश उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सुदीप कुमार जायसवाल ने जारी किया है।

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