1- सारी दुनिया उन्हें रामानंद सागर के नाम से जानती है और सोचती है यही उनका असली नाम है पर सच तो ये है कि उनका असली नाम चंद्रमौलि चोपड़ा था।
2- उनको रामानंद नाम उनकी मैटर्नल ग्रैंडमदर ने दिया जो निसंतान थीं और उन्हें गोद लेकर पेशावर से काश्मीर ले आयी थीं।
3- पार्टीशन के बाद मुंबई आने से पहले उन्होंने पंजाब युनिवर्सिटी से संस्कृत और पर्शियन में डिग्री हासिल की। जिसमें उन्हें गोल्डमैडिल मिला।
4- अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्होंने ट्रक क्लीनर, चपरासी, क्लर्क, साबुन बेचने वाले और सुनारी में अप्रेंटिसशिप की। वे दिन में काम करते थे और विश्वविद्यालय में शाम की कक्षाओं में पढ़ाई करते थे।
5- वो दैनिक मिलाप नाम के समचारपत्र के संपादक भी रहे और रामानंद बेदी, रामानंद कश्मीरी और रामानंद चोपरा के पेन नेम से उन्होंने कई उपन्यास, शॉर्ट स्टोरीज और कवितायें भी लिखीं।
6- 1942 में उन्हें टीबी हो गया और इस बीमारी से अपनी लड़ाई को लेकर उन्होंने एक किताब लिखी डायरी ऑफ ए टीबी पेशेंट जो लाहौर की मैग्जीन आदाब ए मशरिक में कालम की सीरीज के तौर पर छपी।
7- 1932 में उन्होंने बतौर क्लैपर ब्वॉय फिल्मी दुनिया में सफर शुरू किया और 1949 में वे मुंबई आ गए।
8- यहां उन्होंने पृथ्वी थियेटर में पृथ्वीराज कपूर के साथ बतौर असिस्टेंट स्टेज मैनेजर काम करना शुरू किया और थियेटर के लिए कपूर के गाइडेंस में कुछ नाटकों का निर्देशन भी किया। उन्होंने राजकपूर की कामयाब फिल्म बरसात की भी कहानी लिखी थी।
9- 1950 में रामानंद सागर ने सागर फिल्मस प्राइवेट लिमिटेड उ र्फ सागर आर्टस के नाम से फिल्म और टेलीविजन कार्यक्रमों के लिए निर्माण कंपनी शुरू की।
10- उन्होंने कई फिल्मों और टीवी धरावाहिकों का निर्माण और निर्देशन किया उनकी निर्देशित फिल्म धर्मेंद्र और माला सिन्हा स्टारर आंखें जो एक ब्लॉकबस्टर हिट कही जाती है, इसके लिए उन्हें बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला।
11- वैसे तो रामानंद सागर ने अपनी टीवी प्रोडेक्शन कंपनी के तहत कई धारावाहिक बनाये पर रामायण ने उन्हें हर घर में जानापहचाना नाम बना दिया। रामायण का पहला एपिसोड 25 जनवरी 1987 को टेलिकास्ट हुआ था।
12- मुन्ना भाई सीरीज और पीके जैसी शानदार और हिट फिल्मों के निर्माता विधु विनोद चोपड़ा रामानंद सागर के दूर के कजिन हैं।
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