- भूजल में आर्सेनिक व फ्लोराइड की मात्रा बढ़ने से बढ़ी बीमारियां

- 4 ब्लाकों में 150 मीटर व अन्य में 50 मीटर तक का पानी दूषित

FATEHPUR:

हम खुद अपनी राह में कांटे बो रहे हैं। जिस बूंद से जीवन है उसे ही जहरीला बना रहे हैं। औद्योगिक संस्थानों के कचरे, रसायनिक खाद व दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से हालात यह हो गए हैं कि चार ब्लाकों में क्भ्0 व नौ ब्लाकों में भ्0 मीटर की सतह का पानी दूषित हो गया है। पानी में फ्लोराइड व आर्सेनिक की बढ़ रही मात्रा से लोग विकलांगता समेत अनेक प्रकार की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। जिले के क्ख्फ् गांवों के ग्राउंड वाटर को दूषित घोषित किया जा चुका है। हालात दिन प्रतिदिन बदतर होते जा रहे है।

नदी और तालाब में गंदगी की भरमार

जल को संरक्षित करने व शुद्धता को लेकर निजी व सरकारी संजीदगी कहीं नहीं दिख रही है। जीवनदायिनी नदियां हों या तालाब-पोखर प्रदूषण से कराह रहे हैं। कूड़ा-करकट व गंदगी से न केवल जलस्रोत्र संकट में है बल्कि भूजल में जहर पहुंच जाने से जिंदगियों के लिए भी खतरा मंड़रा रहा है। मलवा व चौडगरा औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी जिले की सतह को विषैला बना रहा है। ज्यादातर कल-कारखानों के ट्रीटमेंट प्लांट शो-पीस बने हैं। पांडु नदी के किनारे बसे गांव केसरीपुर के भूजल के पानी फ्लोराइड की मात्रा बढ़ जाने से गांव में पचास से अधिक लोग विकलांगता के शिकार हो गए हैं। आशा अभयपुर के आसपास के दस मजरों व गांव का पानी जहरीला है। प्रशासन ने अब तक इसके लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे कि औद्योगिक क्षेत्रों के केमिकल युक्त पानी को भूगर्भ में जाने से रोका जा सके।

सीवर लाइन न होने की वजह से

सीवर लाइन न होने की वजह से घरों का गंदा पानी नालों के जरिए तालाबों और नहरों तक पहुंच कर भूगर्भ में मिल रहा है, जिससे दिन प्रतिदन सतह दूषित होती जा रही है। सीएमओ डॉ। विनय कुमार की मानें तो दिन प्रतिदिन प्रदूषित हो रही सतह को यदि दूषित पानी से नहीं बचाया गया तो भूगर्भ से निकलने वाला पानी दूषित हो जाएगा।

यह है प्रभावित गांव

गयासपुर, पड़री, मतिनपुर, चकरसूलपुर, चकसकरन, करनपुर, रामपुर, चक रसूलपुर, छिवली, अलादातपुर, गैधेमऊ, जजरहा, घूरी, जरौली, कौंडर, चौहटटा, केसरीपुर, शाहपुर, लोहारी, लकडी, बसवानपुर, सलेमपुर समेत कुल क्ख्फ् गांव प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रहे है।

जिले के नौ ब्लॉक डार्क जोन घोषित

- जिले के दो तिहाई हिस्से की धरती की गागर सूखती जा रही है। भूगर्भ विभाग ने क्फ् में से 9 ब्लाकों को डार्क जोन घोषित कर दिया है, जिसमें भिटौरा, मलवां, तेलियानी, बहुआ, हसवा, अमौली, हथगाम, ऐरायां, धाता है।

क्या बोले जिम्मेदार

सतह पर पानी दूषित नहीं हो, इसके लिए औद्योगिक क्षेत्रों के दूषित पानी का ट्रीटमेंट करने व जल स्तर बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जो फैक्ट्रियां दूषित पानी का ट्रीटमेंट नहीं करेंगी, उन्हें कार्रवाई के दायरे में लिया जाएगा।

-राकेश कुमार, डीएम

'जिले में क्ख्फ् गांवों में जमीन के नीचे के पानी दूषित है। इन गांवों में जलापूर्ति के लिए सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं। 8क् गांवों में नई पेयजल योजनाओं के जरिए शुद्ध पेयजल दिए जाने की तैयारी है। शेष गांवों को भी योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा.'

-एके श्रीवास्तव, जल निगम

'फतेहपुर, में मलवां, भिटौरा, हथगांम व कुछ हिस्सा ऐराया ब्लॉक में डेढ़ सौ मीटर तक प्रदूषित है। शेष ब्लाकों में पचास मीटर की सतह प्रदूषित है। शुद्ध पेयजल के लिए इसके नीचे के जल का दोहन करना पड़ेगा.'

-आरए यादव, भूजल इकाई जल निगम लखनऊ

दूषित पानी से होने वाली बीमारी

- दूषित जल से रोगों की संख्या बढ़ी है। विषाणु द्वारा पीलिया, पोलियों, गैस्ट्रो-इंटराइटिस, जुकाम, संक्रामक चेचक, जीवाणु द्वारा अतिसार, पेचिस, मियादी बुखार, अति ज्वर, हैजा, कुकर खांसी, सूजाक, क्षय रोग, प्रोटोजोआ द्वारा पायरिया, निद्रा रोग, मलेरिया आदि फैल रही है।