RANCHI: पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री रामचंद्र सहिस ने वर्ष 2024 तक राज्य के प्रत्येक रूरल एरिया के परिवार तक शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार से 13 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है। सोमवार को नई दिल्ली में जल-जीवन मिशन को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित बैठक में मंत्री ने यह मांग उठाई। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सहिस ने तार्किक ढंग से झारखंड के पक्ष को रखा।

6 हजार करोड़ रुपए ही मिले

रामचंद्र सहिस ने कहा कि जंगल व पहाड़ी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण झारखंड में बसावटों का फैलाव अपेक्षाकृत अधिक है। इस वजह से योजनाओं की लागत राशि में बढ़ोतरी होती है। रूरल एरिया में पेयजल सुविधा बहाल करने का व्यय 9,000 से 20,000 रुपये प्रति व्यक्ति के बीच आता है। इस स्थिति में झारखंड राज्य को तय लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2024 तक करीब 19 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। राज्य सरकार मौजूदा समय में चल रही योजनाओं को पूरा करने के बाद अधिकतम छह हजार करोड़ रुपये ही उपलब्ध करा पाएगी। ऐसे में हमारा केंद्र सरकार से आग्रह है कि शेष 13 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए।

योजना का लाभ नहीं ले पा रहे लोग

सम्मेलन में मंत्री सहिस ने स्पष्ट कहा कि पहले से राज्य में चल रही एवं भविष्य में बनने वाली योजनाओं के संचालन एवं रखरखाव की बेहतर व्यवस्था नहीं होने से योजना का लाभ लोगों को मिल पाना संभव नहीं हो सकेगा। अनुरोध है कि केंद्र सरकार इस मद में भी राज्य सरकार को राशि उपलब्ध कराए। मंत्री ने झारखंड राज्य में स्थित खदान क्षेत्र की चर्चा करते हुए कहा कि खदानों के आसपास के क्षेत्रों में भूगर्भीय जल स्तर घटता जा रहा है। जाहिर है इससे पेयजल योजनाएं प्रभावित हो रही हैं, आने वाले वर्षो में इन एरिया में समस्या बढ़ेंगी। ऐसे में इस क्षेत्र विशेष के लिए विशेष पैकेज देने की आवश्यकता है।

50.28 लाख परिवारों को दिया वाटर कनेक्शन

राज्य के रूरल क्षेत्रों में मौजूदा पेयजल की स्थिति की रिपोर्ट भी मंत्री ने बैठक में रखी। कहा, मौजूदा समय में पाइपलाइन से जलापूर्ति का प्रतिशत 25.54 है। 50.28 लाख परिवारों को वाटर कनेक्शन दिया जा चुका है। 5,275.31 करोड़ की लागत से 234 वृहद रूरल जलापूर्ति योजना का निर्माण कराया जा रहा है। इसके पूरा होने पर करीब 10 लाख परिवारों को वाटर कनेक्शन दिया जा सकेगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री जन जल योजना के अंतर्गत राज्य के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति टोला के आच्छादन के लिए 11,124 योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। साथ ही साथ, पिछड़े आदिम जनजाति समुदाय बाहुल्य टोलों के आच्छादन के लिए 2,251 सौर ऊर्जा आधारित लघु रूरल पाइप जलापूर्ति योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इससे 17.70 लाख आबादी को शुद्ध पेयजल मिल सकेगा। बैठक में देश के सभी राज्यों के पेयजल मंत्री, भारत सरकार एवं अलग-अलग राज्यों के पदाधिकारी मौजूद थे।