RANCHI: सिटी में 1300 दवा दुकानें हैं, जबकि दवा दुकानों में जो दवा मिल रही है, उसकी जांच करने के लिए मात्र छह ड्रग इंस्पेक्टर ही मौजूद हैं। ऐसे में पब्लिक को कैसी दवाएं मिल रही है, इसकी जांच नहीं हो पा रही है और सरकार मौन है। कम ड्रग इंस्पेक्टर होने के कारण सभी दवा दुकानों की जांच संभव नहीं हो पाती है। जब कभी किसी तरह की सूचना मिलती है, तभी जांच की जाती है। दवा दुकानों के सैंपल के बाद क्या रिपोर्ट आती है इसकी जानकारी किसी के साथ शेयर नहीं की जाती है। इसका फायदा दवा दुकान वाले उठा रहे हैं और खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

राज्य में 17,500 दुकानें, ड्रग इंस्पेक्टर 30

गौरतलब हो कि किसी भी तरह की बीमारी में दवाओं की जरूरत पड़ती है। राजधानी में ब्रांडेड दवाओं के नाम पर मची लूट से पब्लिक को बचाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। डॉक्टर को जहां बड़े अक्षरों में प्रिस्क्रिप्शन पर दवा का नाम लिखना है, वहीं स्पेशल स्टोर जेनरिक दवा दुकान खोल कर लोगों को सस्ती दवाइयां मुहैया कराई जा रही है। मगर इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि राजधानी में जो दवाइयां बेची जा रही हैं, उसकी क्वालिटी क्या होगी। इसके लिए कोई मैकेनिज्म नहीं है। पूरे राज्य में 17,500 दवा दुकानें हैं और मात्र 30 ड्रग इंस्पेक्टर। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि दवा क्वालिटी की जांच कैसे होती होगी।

ड्रग जांच कराने को लाइन

राजधानी में ड्रग की असलियत जानने के लिए ऐसे तो कोई व्यवस्था नहीं है। ड्रग की क्वालिटी की जांच करानी हो तो इसके लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि यहां जांच के दौरान दवाओं के जो सैंपल लिए जाते हैं, वो सेंट्रल लैब में भेजे जाते हैं, जहां उसकी जांच के बाद रिपोर्ट आती है। इसमें दो से तीन महीने तक का वक्त लग जाता है। ऐसे में ड्रग की क्वालिटी जब तक जांच की जाएगी, बाजार में नया सैंपल और जांच के लिए आ जाता है। यानी पूरे राज्य में 17500 दवा दुकानें हैं, और वहां मिलने वाली दवा की क्वालिटी की जांच करने के लिए मात्र 30 ड्रग इंस्पेक्टर ही पूरे राज्य में मौजूद हैं। अगर किसी को यहां जांच करानी है, तो उसे लंबा इंतजार करना पड़ता है।

वर्जन

स्वास्थ्य विभाग की ओर से दवाओं के सैंपल की जांच रेगुलर की जाती है। ड्रग इंस्पेक्टर को जब किसी तरह की शिकायत आती है तो उसका सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेजा जाता है।

-रितू सहाय, ड्रग कंट्रोलर, झारखंड

हाइलाइट्स

-इतनी अधिक दवा दुकानें हैं और कम ड्रग इंस्पेक्टर रहने के कारण हर दवा दुकान की जांच संभव नहीं है।

- कई साल से ड्रग इंस्पेक्टर की बहाली नहीं हो सकी है

-रांची सहित पूरे झारखंड की हर दवा दुकान में दवा की क्या क्वालिटी है, इसकी जांच नहीं हो पा रही है।