- एनएचएम द्वारा पीपीपी मोड में चलाये जा रहे थे राज्यभर में 39 अरबन पीएचसी

- दून में स्लम के लोग इन्हें छोटा दून हॉस्पिटल के नाम से जानते थे

- एनएचएम द्वारा 31 मार्च को ही कर दी गई पीएचसी को बंद करने की घोषणा

देहरादून, दून के स्लम इलाकों में हर माह 60 हजार से ज्यादा मरीजों का उपचार करने वाले 16 अरबर पीएचसी बंद कर दिये गये हैं। इन पीएचसी में सभी जरूरी सुविधाएं मरीजों को मिल जाती थीं, इसलिए इन्हें छोटे दून हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता था। नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा इनका संचालन पीपीपी मोड में एनजीओ द्वारा संचालित किया जा रहा था।

एनएचएम ने दिये बंद करने के निर्देश

एनएचएम की ओर से इन पीएचसी को बंद करने के आदेश 31 मार्च को ही दे दिये जा चुके थे, लेकिन कर्मचारियों का कई महीनों का वेतन नहीं दिया गया है। अब ये कर्मचारी अपने वेतन के लिए एनएचएम के अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।

हर पीएचसी में थे 12 कर्मचारी

हर अरबन पीएचसी में 12 कर्मचारी नियुक्त किये गये थे। इनमें एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट, एक पब्लिक हेल्थ मैनेजर, एक जीएनएम, 5 एनएनएम, एक लैब असिस्टेंट और एक वॉचमैन शामिल हैं।

एक महीने का भी वेतन नहीं

पिछले साल दून के अरबन पीएचसी जून से अगस्त तक फंडिंग न होने के कारण बंद रहे। सितम्बर में ये खुले तो सही, लेकिन कर्मचारियों का एक महीने का वेतन भी नहीं दिया गया। राज्य के दूसरे शहरों में भी यही स्थिति है।

स्थानीय लोग परेशान

ये सभी पीएचसी उन स्लम बस्तियों में खोले गये थे, जहां आमतौर पर लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में रहते हैं। लेकिन, सरकारी हॉस्पिटल तक जाने का खर्च नहीं उठा पाते। ऐसे लोगों को अपनी ही बस्ती में सामान्य डॉक्टरी सलाह, प्रसव पूर्व व प्रसव के बाद की सेवाएं, शिशु टीकाकरण, ब्लड की सामान्य जांच, परिवार नियोजन की सलाह व सामग्री, कॉपर टी लगाने की सुविधा, यौन जनित रोगों की पहचान व उपचार की सुविधा मिल जाती थी, लेकिन इनके बंद हो जाने से लोग परेशान हैं।

यहां थे पीएचसी

ये अरबन पीएचसी कारगी, माजरा, सीमाद्वार, गांधी ग्राम, रीठा मंडी, जाखन, किसन नगर, मसूरी, बकरालवाला, अधोईवाला, भगत सिंह कॉलोनी, ऋषिकेश और दीपनगर।

ये पीएचसी पीपीपी मोड पर चलाये जा रहे थे। जो एनजीओ इन्हें चला रहे थे, उनके साथ 31 मार्च तक का समझौता था। समझौता खत्म हो गया है। अब आगे इन्हें किस रूप में चलाया जाएगा, इस पर विचार किया जा रहा है।

जुगल किशोर पंत, एमडी, एनएचएम।