-ट्रॉमा के आरआईसीयू के डॉक्टर्स ने दी मरीज को जिंदगी

LUCKNOW:

केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में रेस्पीरेटरी आईसीयू के डॉक्टर्स ने हेड इंजरी के सीरियस मरीज को 18 दिन वेंटीलेटर पर इलाज के बाद नई जिंदगी दे दी। उसकी सांस नली से लगातार ब्लीडिंग हो रही थी। सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। मरीज बेहोशी की हालत में वेंटीलेटर पर था।

आरआईसीयू में चला था इलाज

संदीप कटियार का 25 जून को एक्सीडेंट हुआ था। परिजनों के अनुसार पुलिस उन्हें पहले लोहिया और फिर ट्रॉमा सेंटर ले गई। पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि सिर में गंभीर चोट थी। संदीप को न्यूरो सर्जरी में भर्ती किया गया। होश न आने और सांस लेने में परेशानी होने पर वेंटीलेटर पर आरआईसीयू में शिफ्ट किया गया। उसकी सांस नली के घाव से खून बह रहा था। 15 दिन बाद मरीज की हालत में सुधार आया। इस दौरान उसकी छह बार ब्रांकोस्कोपी कर फेफड़ों में ब्लीडिंग और खून का थक्का जमने की जांच की गई।

सांस लेने में दिक्कत

पिछले सोमवार को मरीज को सांस लेने में फिर दिक्कत हुई। जांच में पता चला कि फेफड़ों को जाने वाली सांस नलियों के जोड़ पर 10 सेमी। का खून का थक्का है। इसे निकालने के लिए टीम ने करीब 10 बार प्रयास किए तब जाकर क्रोकोडाइल फोरसेप से उसे निकाला जा सका। डॉ। वेद ने बताया कि मरीज 18 दिन तक लगातार वेंटीलेटर पर रहा। खून का थक्का निकालने के बाद ब्लीडिंग बंद हो गई है और इंफेक्शन खत्म हो गया है। उसे वेंटीलेटर से हटा लिया गया है।

इस टीम ने बचाई जान

पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन से डॉ। वेद प्रकाश, डॉ। अजय वर्मा और डॉ। सोनाली, डॉ। अंकित, डॉ। नील, डॉ। प्रशांत, डॉ। विकास, डॉ। संतोष और ईएनटी से डॉ। वीरेंद्र वर्मा, डॉ। सुनील कुमार, डॉ। मनीष ने इसके इलाज में अहम रोल निभाया।