-2000 में सूबे में संस्कृत बोर्ड का हुआ था गठन

-गठन के 18 साल बाद पहली बार नए स्कूलों को मान्यता देने का उठाया कदम

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PRAYAGRAJ: सूबे में संस्कृत स्कूलों को बढ़ावा देने और उनके बेहतर संचालन के लिए 18 साल पहले साल 2000 में बोर्ड का गठन किया गया था। तब से यह बोर्ड सिर्फ नाम के लिए ही काम कर रहा था। 18 साल के बाद पहली बार बोर्ड की तरफ से मान्यता समिति का गठन किया गया। और अब जाकर सूबे में संस्कृत बोर्ड की ओर से संचालित होने के लिए 13 नए स्कूलों को मान्यता दी गई है। इस बीच बोर्ड की तरफ से करीब दो हजार शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति के लिए अधियाचन भी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेज दिया गया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अब संस्कृत बोर्ड से चलने वाले स्कूलों की कार्यशैली में तेजी आएगी।

सूबे में अभी तक थे 1151 स्कूल

सूबे में नए स्कूलों की मान्यता के पहले कुल 1151 स्कूलों का संचालन हो रहा था। इसमें इंटर कॉलेज के साथ ही संस्कृत डिग्री कॉलेज भी शामिल थे। बोर्ड के गठन के पूर्व संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों को मान्यता देने और उनके संचालन का दायित्व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को मिला था।

ऐसे चले कदम दर कदम

2000 में सूबे की सरकार द्वारा संस्कृत बोर्ड का गठन किया गया।

2012 में बोर्ड को मान्यता देने के लिए नियमावली बनाई गई।

-18 साल लग गए नियमावली बनने के बावजूद नए संस्कृत स्कूलों को मान्यता देने की प्रक्रिया में।

-2018 में जून में बोर्ड के मान्यता समिति की मीटिंग हुई, जिसमें 13 नए स्कूलों को मान्यता दी गई।

1164 हो गई है अब संस्कृत बोर्ड की ओर संचालित कुल स्कूलों की संख्या।