RANCHI : रांची में जो सीवरेज व ड्रेनेज सिस्टम बन रहा था वो आज भी कंप्लीट नहीं हो पाया है। यही वजह है कि हल्की बारिश में ही शहर डूब जाता है। पिछले चार दिनों से हो रही बरसात में सिटी की जो दुर्गति हुई है उसमें ड्रेनेज सिस्टम खलनायक बनकर उभरा है। यह हाल तब है जबकि झारखंड की राजधानी रांची को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया है लेकिन स्मार्ट सुविधा कुछ भी नहीं है।

खराब सिस्टम से ही अव्यवस्था

रांची में लोगों को हाईटेक बनाने पर तो पूरा जोर दिया जाता है, लोगों से अलग-अलग प्रकार के टैक्स भी लिए जा रहे हैं। लेकिन जिस गर्वमेंट बॉडी पर शहर को नीट एंड क्लीन रखने की जिम्मेवारी है वो ही अपडेट नहीं है। शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था, नालियों के हालात एक बारिश ही सामने लाकर रख देती है। कई बार आईनेक्स्ट में भी बारिश ने खोली पोल, बारिश तो एक बहाना है हेडिंग से खबर पब्लिक की है। लेकिन अधिकारी सुने तब तो। इन दिनों हो रही मूसलाधार बारिश से सिटी में जलभराव की समस्या सामने आई है। इस अव्यवस्था की वजह बारिश नहीं बल्कि सिस्टम है। खराब सिस्टम का ही नतीजा है कि राजधानी में 19 साल बीतने के बाद भी एक प्रॉपर ड्रेनेज की व्यवस्था नहीं हो सकी है।

200 करोड़ खर्च पर नहीं बना ड्रेनेज

राजधानी में सीवरेज-ड्रेनेज के लिए साल 2015 में ही प्लान तैयार हुआ था। इसके लिए 356 करोड़ रुपए बजट पर मुहर लगाई गई थी। रांची को चार जोन में बांट कर सीवरेज-ड्रेनेज बिछाया जाना था, काम शुरू हुआ मगर सिस्टम के दीमक से यह भी बच न सका। लगभग 200 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी शहर में ढंग का ड्रेनेज नहीं बन सका। जिस ड्रेनेज का निर्माण कराया गया है उसे भी सड़क से ऊंचा उठा दिया गया है। इस वजह से सड़क का पानी नाली में जा नहीं पाता।

नालियों से ओवरफ्लो की समस्या

शहर में नालियों की सफाई की जिम्मेवारी नगर निगम की है। लेकिन वह सिर्फ खानापूर्ति कर काम की इतिश्री कर लेता है। 2 से 3 महीने में कभी-कभार एक या दो बार नाली की सफाई करा दी जाती है। इसमें भी नालियों की सफाई के बाद निकले कचरे को पास में ही रख दिया जाता है। इसका उठान नहीं किया जाता जिस वजह से ये गंदगी फिर नालियों में चली जाती है। इससे नालियां ब्लॉक हो जाती हैं। नालियों से पानी की निकासी नहीं होने के कारण यह ओवरफ्लो होकर रोड पर बहता रहता है।

सड़कें बन जाती हैं तालाब

सिस्टम की लापरवाही का ही नतीजा है कि बारिश में राजधानी की सड़कें तालाब नजर आने लगती हैं। पानी को बहाव नहीं मिल पाने से सड़क पर ही जलजमाव की स्थिति बन जाती है। सड़कों पर घुटने भर पानी जमा हो जाता है। पैदल तो दूर, गाडि़यों से चलना भी मुश्किल होने लगता है। रातू रोड से पिस्का मोड़ की सड़क हो कचहरी, हरमू, बरियातू अपर बाजार, हिंदपीढ़ी, डोरंडा की सड़कें ताल तलैया में तब्दील हो जा रही हैं। शहर में ऐसे कई व्यस्त चौराहे भी हैं जहां बरसात का पानी जमा होता है। इससे लोगों को पैदल चलने में भी काफी कठिनाई होती है। साथ ही डेंगू और अन्य बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।

पानी के कारण नहीं दिखते गड्ढे

रांची में कई ऐसे स्पॉट हैं जहां बड़ी-बड़ी नालियां हैं लेकिन उन्हें स्लैब से ढका नहीं गया है। गढ्डों के आसपास भी कोई सूचना नहीं लगाई जाती है। जिससे गिरने का खतरा बना रहता है। बारिश में जलभराव के कारण यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि गड़्ढे कहां हैं और समतल कहां। कुछ दिनों पहले ही नाला रोड में फलक नाम की बच्ची की मौत खुले नाले में गिरने की वजह से हो गई थी। इसके बाद भी शहर की दशा को सुधारने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।

यहां किये गए बड़े होल बने खतरे का सबब

कडरू पुल, निवारणपुर, हरमू नदी, स्टेशन रोड डायवर्जन, चुटिया श्मशान घाट, अरगोड़ा, कांटाटोली, बिरसा चौक के समीप भी बड़े-बड़े गढ़्डे हैं। जलजमाव के बाद ये खतरे का सबब बने हुए हैं।

त्योहार में अनहोनी का अंदेशा

शहर में दुर्गा पूजा बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा पंडाल देखने के लिए निकलते हैं। सड़कों पर लोगों का हुजूम रहता है। ऐसे में सड़कों के गढ्डे या खुली नालियों की वजह से अनहोनी हो सकती है। स्मार्ट रोड बनाने के लिए अरगोड़ा, बिरसा चौक, कांटाटोली, हीनू, एयरपोर्ट आदि स्थानों पर सड़कों पर बडे़-बडे़ गढ़डे किए गए हैं। इन स्थानों पर बैरीकेडिंग या सूचना पट्ट लगाना जरूरी है लेकिन इस पर भी ध्यान कम ही है।

वर्जन

नगर निगम के पास अभी स्लैब की कमी है, इसलिए नालियों को ढकने का काम फिलहाल नहीं किया जा सकता। पूजा पंडाल के आसपास अगर ऐसी शिकायत आएगी, तो वहां नालियों को ढकने का प्रयास करेंगे। 1 तारीख से सभी सुपरवाइजर शहर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान देंगे।

संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, रांची