करियर का सबसे खराब पल

ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में होने वाले अगले वर्ल्ड कप से पहले तेंदुलकर ने ICC के लिए कॉलम में लिखा है कि मेरे लिए भुलाने वाला क्रिकेट वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज में हुआ 2007 टूर्नामेंट है. टूर्नामेंट से जल्द बाहर होना मेरे क्रिकेट करियर के बदतर पलों में शामिल है. हमारी टीम शानदार थी, लेकिन यह ऐसी साबित नहीं हुई. इसके साथ ही वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा बनने का मेरा इंतजार जारी रहा. हालांकि इस निराशा ने आलोचकों को गलत साबित करने में प्रेरणा का काम भी किया.

घरेलू सरजमीं पर जीता वर्ल्ड कप

वर्ल्ड कप 2015 के लिए आइसीसी एंबेसडर तेंदुलकर ने कहा कि घरेलू सरजमीं पर 2011 वर्ल्ड कप जीतना उनके करियर का यादगार लम्हा रहा. रिकॉर्ड 6 वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने वाले तेंदुलकर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया व पाकिस्तान जैसी शीर्ष टीमों को हराया और अंतत: फाइनल में श्रीलंका को शिकस्त देकर भारत घरेलू सरजमीं पर वर्ल्ड कप जीतने वाला पहला देश बना. इसके अलावा यह जीत हमारे लिये काफी स्पेशल थी, क्योंकि मैं 22 साल के इंतजार के बाद वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा बना. 2011 की जीत मेरे करियर का सबसे बड़ा पल रहा, जिसका पूरे देश ने एकजुट होकर जश्न मनाया.

बॉल ब्वॉय से वर्ल्ड कप विजेता तक

वर्ल्ड कप के बॉल ब्वॉय से वर्ल्ड कप विजेता का सफर तय करने वाले तेंदुलकर ने 2013 नवंबर में ढेरों रनों व रिकॉर्ड के साथ क्रिकेट को अलविदा कहा. वर्ल्ड कप के 45 मैचों में 2278 रन बनाने वाले तेंदुलकर ने कहा कि 25 जून, 1983 को भारतीय क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता और ट्रॉफी हाथ में लिए टीम की तस्वीरें पूरे देश के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी. मैं तब सिर्फ दस साल का था और इस जीत की मेरी अच्छी यादें हैं. मेरे माता-पिता ने मुझे देर रात तक जश्न मनाने की इजाजत दी थी. वर्ल्ड कप जीत के बाद मुझे भी हार्ड गेंद के साथ खेलने की प्रेरणा मिली.

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