मदिरा का लगता है भोग

महाअष्टमी के दिन उज्जैन में 24 खंभा माता मंदिर का नजारा देखने लायक होता है। माता के इस मंदिर में सुबह से ही पूजा शुरू हो जाती है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पूजा के बाद देवी मां को मदिरा का भोग चढ़ाया जाता है। और आरती के बाद चल समारोह निकाला जाता है। शहर के आसपास स्थित देवी और भैरव मंदिरों में जाकर पूजा की जाती है। इस दौरान तांबे के कलश में मदिरा लेकर एक सेवक चल समारोह के आगे चलता है जिससे मदिरा की धार लगातार जारी रहती है।

हजारों साल पुरानी परंपरा

उज्जैन में यह नगर पूजा हजारों साल पुरानी है। मान्यता है कि उज्जयिनी के महान सम्राट विक्रमादित्य लोक कल्याण और राज्य की प्रजा की सुख शांति और समृद्धि के लिये नगर पूजा करते थे। तभी से नगर पूजा की ये परंपरा चली आ रही है। मंदिर के पुजारी रामभाऊ का कहना है कि रियासत काल में सिंधिया राजघराने द्वारा ये परंपरागत पूजा की जाती थी। आजादी के बाद जिले के मुखिया होने के नाते कलेक्टर नगर पूजा की ये परंपरा निभाने लगे और नगर पूजा करने लगे।

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