1990 में प्रॉपर्टी का आवंटन कर भूल गया आवास विकास

फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी ने अवैध कब्जे की कोशिश

आवास विकास के बाबू ने मांगी 25 लाख की रिश्वत

Meerut. आवास-विकास परिषद में बेनामी संपत्ति के नाम पर अपने वारे-न्यारे करने का खेल चल रहा है. हाल ही में जागृति विहार सेक्टर 3 की लगभग 50 लाख रुपये की ऐसी ही संपत्ति को प्रॉपर्टी डीलर के नाम करने के लिए 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई, लेकिन सौदा तय नहीं हो पाने पर डीलर ने ही फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो वायरल कर दिया.

असली मालिक गायब

मामला आवास-विकास की योजना संख्या 6 के जागृति विहार सेक्टर 3 का है. यहां आवास संख्या 532 को साल 1990 में नेपाल सिंह पुत्र हरवंश निवासी गडीना (मवाना) को अलॉट किया गया था. मगर कुछ साल किश्तें जमा करने के बाद मूल आवंटी नेपाल सिंह गायब हो गया. इसके बाद इस मकान का कोई असली वारिस सामने नही आया.

फर्जी कागजात से खुली पोल

दो साल पहले संपत्ति पर पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से अपना हक जताते हुए प्रॉपर्टी डीलर मुकेश ने नामांतरण के लिए आवेदन किया तो आवास-विकास को इस बेनामी संपत्ति की सुध आ गई. इसके बाद आवास-विकास से पावर ऑफ अटॉर्नी की सत्यता पर सवाल खड़ा करते हुए मूल आवंटी नेपाल सिंह को पत्र लिखा गया.

फोटो से हुआ शक

संपत्ति अधिकारी ने पावर ऑफ अटार्नी में लगी मूल आवंटी की फोटो को शक के दायरे में पाते हुए एक नोटिस आवंटी के मूल पते पर भेजा, इसमें लिखा था कि चूंकि 24.8.90 को प्राप्त आवेदन में प्रार्थी की उम्र 65 वर्ष थी, इसलिए अब पावर ऑफ अटॉनी में यह 94 वर्ष होनी चाहिए, लेकिन देखने में उम्र काफी कम लग रही है.

नोटिस देने में भी खेल

हालांकि यहां भी परिषद के बाबुओं ने खेल कर दिया. इस नोटिस पर मूल आवंटी का पता न मिलने का नोट लिखते हुए इसे दोबारा संपत्ति कार्यालय दाखिल कर दिया गया.

मांगे 25 लाख

पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से सरधना निवासी प्रॉपर्टी डीलर मुकेश कुमार ने दावा किया कि यह आवास उसके नाम कर दिया जाए. मगर मामले की जांच की गई तो पावर ऑफ अटॉर्नी भी फर्जी पाई गई. हालांकि मामले की जांच कर रहे विभाग के बाबू मनोहर ने संपत्ति को 50 लाख से ज्यादा का बताते हुए संपत्ति अधिकारी नरेश बाबू के नाम पर डीलर से 25 लाख बतौर रिश्वत मांगी. साथ ही कहा कि अगर रिश्वत नहीं दी तो संपत्ति को बेनामी लिस्ट में डालकर नीलाम कर दिया जाएगा. इस पर मुकेश ने भी संपत्ति अधिकारी नरेश बाबू को भुगतने की धमकी देते हुए मामला जोनल के स्तर से निपटाने को कहकर फोन काट दिया. चूंकि पूरी बात फोन पर प्रॉपर्टी डीलर ने रिकार्ड की थी इसलिए डील न होने पर ऑडियो वायरल कर दी गई. सूत्र बता रहे हैं कि प्रॉपर्टी डीलर इस मकान का आगे सौदा कर चुका था, उसे उम्मीद थी कि परिषद में भी इसकी सौदेबाजी हो जाएगी, लेकिन रिश्वत की रकम जरूरत से ज्यादा मांग लिए जाने से बात बिगड़ गई.

कन्नी काट रहे अधिकारी

आवास-विकास में बेनामी संपत्ति के बंदरबांट का यह कोई नया मामला नहीं है. इससे पहले भी आवास-विकास के आला अधिकारियों पर बेनामी संपत्ति के गलत तरीकों से बिक्री के आरोप लगते रहे हैं. मगर इस बार मामला पूरी तरह सामने आने के बाद आला अधिकारी मामले से कन्नी काट रहे हैं.

अपने मकान की सुध नहीं

आवास विकास परिषद की हालत यह है कि उसे खुद अपनी प्रॉपर्टी की सुध नहीं है. 1990 में मूल आवंटी ने किस्तें जमा नहीं की, लिहाजा उस मकान की रजिस्ट्री भी नहीं हो सकी. लेकिन आवास विकास ने उस पर अपना कब्जा भी वापस नहीं लिया. इसका फायदा किसी तीसरे शख्स ने उठा लिया और उस पर अवैध कब्जा कर लिया. इसकी पुष्टि रिपोर्टर से आसपास रह रहे लोगों ने की. मौके पर घर पर ताला था, लेकिन एसी व अन्य घरेलू सामान वहां था.

यह है नियम

यदि किसी प्रॉपर्टी का लाभार्थी डिफॉल्टर हो जाता है, यानी उसकी पूरी किश्तें जमा नहीं करता, तो आवास विकास दो-तीन बार नोटिस भेजने के बाद, उसे बेनामी संपत्ति की सूची में डालकर उसे नीलाम करके किसी दूसरे खरीदार को बेच देता है. यहां प्रॉपर्टी डीलर को यही धमकी देकर रिश्वत मांगी गई कि संपत्ति को बेनामी घोषित कर नीलाम कर दिया जाएगा.

मामला जानकारी में है. पूरा ऑडियो मैंने भी सुना है. ऑडियो में मेरे नाम से पैसा मांगा जा रहा है लेकिन जब तक कोई शिकायत नहीं आएगी, हम क्या कर सकते हैं.

नरेश बाबू, संपत्ति अधिकारी

वह आदमी मुझ पर गलत तरीके से काम कराने के लिए दबाव बना रहा था. रोज मेरे घर आकर बैठ जाता था इसलिए मैंने उसे टालने के लिए बोल दिया कि पैसे लगेंगे.

मनोहर, बाबू