कानपुर। जिस अद्भुत खगोलीय घटना के लिए वैज्ञानिक बरसों इंतजार करते हैं वैसी ही एक घटना हमारे ब्रह्मांड में बुधवार को घटी। जब एक विशाल उल्‍कापिंड जिसे संभावित खतरनाक श्रेणी में रखा गया है 29 अप्रैल को धरती के करीब से गुजरा तेजी से अपनी चमक बिखेरता हुआ गुजर गया। Asteroid (52768) 1998 OR2, 29 अप्रैल को पृथ्वी के करीब पहुंचा। इस विशाल अंतरिक्ष चट्टान का अनुमानित व्यास 1.1 से 2.5 मील (1.8 से 4.1 किलोमीटर) है, या अमेरिका के मैनहट्टन आइलैंड के बराबर चौड़ा है। प्‍यूर्टोरिको स्थित ऑब्‍जर्वेटरी ने डॉपलर रडार से इसकी जो तस्‍वीरें ली हैं उसमें यह ऐसा नजर आया जैसे उसने फेस मास्‍क पहन रखा है।

जुलाई 1998 में हुई खोज

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक जुलाई 1998 में नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में नियर-अर्थ एस्‍ट्रॉयड ट्रैकिंग कार्यक्रम द्वारा उल्‍कापिंड 1998 OR2 की खोज की गई थी, और पिछले दो दशकों से खगोलविदों ने इसे ट्रैक किया है। नतीजतन, इसकी ऑरबिटल ट्रैजेक्‍टरी को बहुत सटीक रूप से समझा जा सका है, और विश्वास के साथ कहा जाता है कि यह एस्‍टेरॉयड कम से कम अगले 200 वर्षों तक धरती पर प्रभाव की संभावना नहीं रखता है। अगली बार यह पृथ्वी के निकट 2079 में होगा, जब यह करीब से गुजर जाएगा - केवल चंद्र दूरी का लगभग चार गुना।

अंतरिक्ष में गोते खाता धरती की ओर बढ़ रहा

प्‍यूर्टोरिको स्थित वेधशाला से ली गई रडार तस्‍वीरों से बने एक वीडियो में उल्‍कापिंड अंतरिक्ष में गोते खाते हुआ पृथ्वी की ओर बढ़ा चला आ रहा है। यह धरती से 6.3 मिलियन किमी की दूरी से गुजरेगा। इस विशाल उल्‍कापिंड के करीब आने से ठीक पहले नासा के मुताबिक एक छोटे आकार का उल्‍कापिंड धरती के बगल से गुजरा है। जो आकार में 4 से 8 मीटर था और धरती से इसकी दूरी 36400 किमी थी, यह दूरी उतनी ही जितनी दूर आसमान में मानव निर्मित जियोसिंक्रनस सैटेलाइट रहती हैं।

खगोल वैज्ञानिक मास्‍क पहनकर रख रहे उल्‍कापिंड पर नजर

कोरोनावायरस महामारी के चलते, आरसीबो के खगोलविज्ञानियों को ज्‍यादातर रेडियो ऑब्‍जर्वेशन दूर से करने पड़ रहे हैं। हालांकि, प्‍लानेटरी रडार ऑब्‍जर्वेशन के लिए एक वैज्ञानिक व एक रडार ऑपरेटर आब्‍जर्वेटरी में साइट पर हैं। जो भी सीमित कर्मचारी यहां है वे मास्‍क पहनने समेत कोविड-19 के प्रसार से जुड़ी तमाम सावधानियों का पालन कर रहे हैं। प्‍यूर्टोरिको जहां यह आब्‍जर्वेटरी स्थित है अभी तक कोरोनवायरस के 1400 मामले सामने आए हैं और इसकी वजह से 84 लोगों की जान गई है। प्‍यूर्टोरिको वेधशाला जहां एक विशाल दूरबीन (टेलीस्‍कोप) से इस उल्‍कापिंड पर नजर रखी जा रही है, दुनिया की महत्‍वपूर्ण वेधशालाओं में से एक है। आरसीबो टेलीस्‍कोप ने बुध व शुक्र ग्रह जोवियन सैटेलाइट, शनि ग्रह के वलयों और उपग्रहों के अलावा अनेकों उल्‍कापिंडों व धूमकेतुओं के बारे में जानकारी जुटाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। आरसीबो वेधशाला का रेडियो टेलीस्‍कोप ऑप्‍टिकल टेलीस्‍कोप को वैकल्पिक दृष्टिकोण उपलब्‍ध कराता है। यह नजर आने वाली गैस की पहचान कर अंतरिक्ष के ऐसे हिस्‍सों के बारे जानकारी जुटा सकता है जो कॉस्मिक धूल से ढंके हो सकते हैं।

पृथ्वी से चंद्रमा की तुलना में लगभग 16 गुना दूर

वास्तव में, निकटतम होने पर, लगभग 1.5-मील-चौड़ा (2.4 किमी) 1998 OR2 अभी भी पृथ्वी से चंद्रमा की तुलना में लगभग 16 गुना दूर होगा। (चंद्रमा 239,000 मील या 385,000 किमी की औसत दूरी पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है।)

धरती से टकराने की संभावना

नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज में पसेडेना, कैलिफोर्निया स्थित एजेंसी के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी़ में प्रबंधक पॉल चोडास ने कहा, ' कोई भी ऐसा बड़े आकार वाला उल्‍कापिंड नहीं है जिसके धरती से टकराने की संभावना हो सकती है। हमारी सूची में कोई नहीं है।' वह सूची बहुत व्यापक है। नासा के वैज्ञानिकों को लगता है कि उन्होंने पृथ्वी के क्षुद्रग्रहों (NEAs) के 90 प्रतिशत को ढूंढ लिया और उन्हें ट्रैक कर लिया है, जो कि चौड़ाई में कम से कम 0.6 मील (1 किमी) हैं, जो मनुष्यों के लिए एक वैश्विक खतरा पैदा करने के लिए काफी बड़ा है। Asteroid Live Streaming

गुरुत्वाकर्षण का असर

लेकिन इससे राहत की सांस नहीं ली जा सकती है, हमें अपने प्रयास जारी रखने होंगे। चोडास और लिंडले जॉनसन, नासा के ग्रह रक्षा अधिकारी और ग्रह रक्षा समन्वय कार्यालय के कार्यक्रम कार्यकारी ने कहा। वहां बाहर NEAs की संख्या बहुत बड़ा है, इसलिए कुछ बड़े खतरनाक उल्‍कापिंड कहीं छिपे हो सकते हैं। और क्षुद्रग्रह आमतौर पर अन्य वस्तुओं के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होते हैं, जिससे उनकी कक्षाओं को बहुत लंबे समय तक मॉडल करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

बहुत ही दुर्लभ घटना

जॉनसन ने आज के वेबकास्ट के दौरान कहा, यह एक बहुत ही दुर्लभ घटना है, लेकिन यह एक अनिवार्य घटना है। यह अनिवार्यता क्षुद्रग्रह की खोज और ट्रैकिंग प्रयासों को अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण बनाती है, उन्होंने और चोडास ने कहा, क्योंकि हम डायनासोर की तरह असहाय नहीं हैं। हम आने वाले क्षुद्रग्रह के बारे में कुछ कर सकते हैं यदि हम इसे पहले से काफी दूर कर दें। स्‍पेस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक आज तक, खगोलविदों ने 8000 से अधिक पृथ्वी के निकट क्षुद्रग्रहों या उल्‍कापिंडों को देखा है जो कम से कम 460 फीट (140 मीटर) चौड़े हैं, यह अगर हमारे ग्रह के रास्‍ते में आते हैं तो नुकसान पहुंचा सकते हैं। बहरहाल यह 25000 ऐसी अंतरिक्ष चट्टानों में से केवल एक-तिहाई है जो पृथ्वी के पड़ोस में घूम रही हैं।

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