लगा कि खत्म हो जाएगी आर्चरी

आर्चरी। ऐसा गेम जिसे दो साल पहले तक लोग शायद टीवी पर भी देखना पसंद नहीं करते थे, फिर हकीकत में उसे देखना और बच्चों को प्रैक्टिस के लिए भेजना कितना मुमकिन होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। मगर तभी रीजनल स्टेडियम में खेल निदेशालय ने आर्चरी का कैंप एलॉट किया। कोच महेंद्र प्रताप सिंह ट्रेनिंग देने आए। धीरे-धीरे ब्वायज नहीं बल्कि गल्र्स भी आर्चरी सीखने स्टेडियम आने लगी। तभी नेक्स्ट सेशन में खेल निदेशालय ने कैंप कैंसिल कर दिया। कोच महेंद्र प्रताप सिंह सिटी छोड़ बाराबंकी चले गए और वहीं कैंप एलॉट होने से टीनएजर्स को प्रैक्टिस कराने लगे। लगा कि सिटी में आर्चरी खत्म हो गई। रीजनल स्टेडियम में कैंप एलॉट न होने से जो सुविधाएं मिल रही थी, वह भी खत्म हो गई। ये तीनों एकलव्य 8 से 11 अक्टूबर के बीच बंदायू में होने वाले सीनियर स्टेट आर्चरी चैैंपियनशिप में पार्टिसिपेट कर रहे हैं।

निशाना सिर्फ मेडल पर

कैंप कैंसिल होने और कोच के जाने के बाद भी सिटी के तीन यूथ का हौंसला कमजोर नहीं पड़ा। जब स्टेडियम में सुविधा खत्म हो गई तो बिछिया के देवेंद्र, हरविंदर और मनीष ने घर पर ही टारगेट प्वाइंट बना लिया। मगर वहां उन्हें प्रैक्टिस करने में प्रॉब्लम हो रही थी। इससे बीए-फस्र्ट इयर का स्टूडेंट हरविंदर, बीए-सेकेंड इयर का स्टूडेंट देवेंद्र और बीए-थर्ड इयर का स्टूडेंट मनीष यूनिवर्सिटी पहुंचे और स्पोट्र्स काउंसिल के सेक्रेट्री डॉ। विजय चहल से रिक्वेस्ट की। डॉ। चहल ने तीनों को कैंपस में प्रैक्टिस करने की परमीशन देने के साथ आर्चरी स्टैैंड और टारगेट भी मुहैया कराया।

पॉकेटमनी जुटा कर खरीदा आर्चरी

देवेंद्र, हरविंदर और मनीष एक ही मोहल्ले बिछिया, पीएसी कैंप में रहते है। तीनों का सिर्फ एक ही सपना है देश के लिए आर्चरी में मेडल जीतना। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए तीनों के लिए पहले जरूरी था खुद की एक आर्चरी किट। मगर रेट अधिक होने से उनके फैमिली मेंबर्स खरीदने के लिए तैयार नहीं है। देवेंद्र, हरविंदर और मनीष तीनों के पिता की छोटी सी मिठाई की दुकान है। वे तीनों दुकान पर बैठने लगे और पिता की मदद करने लगे। बेटे की लगन देख पिता ने उनको जेबखर्च देना शुरू कर दिया। मगर इन तीनों ने उस रकम को खर्च करने के बजाए उसे इक्ट्ठा करना शुरू कर दिया। इसके बाद पहली आर्चरी किट खरीदी। धीरे-धीरे तीनों ने अपनी-अपनी आर्चरी किट खरीद ली है और अब रेगुलर यूनिवर्सिटी ग्राउंड में प्रैक्टिस कर रहे है। देवेंद्र, हरविंदर और मनीष इससे पहले इंटर यूनिवर्सिटी, सीनियर स्टेट और जूनियर स्टेट आर्चरी कॉम्पटीशन में पार्टिसिपेट कर चुके है।

आर्चरी में ही मुझे फ्यूचर बनाना है। कोच न होने से थोड़ी प्रॉब्लम हो रही है। मगर टारगेट सिर्फ एक है मेडल। इसलिए यूनिवर्सिटी में रेगुलर प्रैक्टिस कर रहा हूं।

देवेंद्र

कोच न होने से थोड़ी प्रॉब्लम हो रही है। फिर भी अपनी पूरी लगन और मेहनत से आर्चरी की रेगुलर प्रैक्टिस कर रहा हूं।

हरविंदर

सुविधाएं थोड़ी राहत दे सकती है, मगर मेडल मेहनत और लगन से ही मिलता है। इसलिए बिना कोच के ही रेगुलर प्रैक्टिस कर रहा हूं और दिल में सिर्फ एक जज्बा है मेडल जीतना।

मनीष

अलग कैटेगरी की है आर्चरी किट

आर्चरी किट          - रेट

इंडियन राउंड         - 7,000 से स्टार्ट

कंपाउंड राउंड        - 1.25 लाख से स्टार्ट

रिकर्व राउंड          - 1.25 लाख से स्टार्ट

(इंडियन राउंड को इंटरनेशनल कॉम्पटीशन का पार्ट नहीं माना जाता है। इंटरनेशनल कॉम्पटीशन में सिर्फ कंपाउंड और रिकर्व राउंड वाले ही पार्टिसिपेट करते हैं.)

Report by : kumar.abhishek@inext.co.in