तेंदुलकर कमेटी के आंकड़ों को नकारा

फेमस इकॉनॉमिस्ट सी. रंगराजन की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने, तेंदुलकर कमेटी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया. रंगराजन कमेटी के मुताबिक इंडिया में साल 2011-12 के बीच गरीबों को तादाद काफी ज्यादा थी. पैनल ने कहा कि इस दौरान भारत की करीब 29.5 पर्सेंट जनसंख्या गरीब थी. इसका मतलब हुआ कि  हर दस में से तीन भारतीय गरीब हैं.

पॉवर्टी की नई डेफिनेशन

प्लानिंग मिनिस्टर राव इंद्रजीत सिंह को सौंपी गई रिपोर्ट में रंगराजन कमेटी ने सिफारिश की है कि शहरों में प्रतिदिन 47 रुपये से कम खर्च करने वाले व्यक्ति को गरीब माना जाना चाहिए. जबकि तेंदुलकर तेंदुलकर कमेटी ने यह पैमाना 33 रुपये प्रति व्यक्ति माना था. रंगराजन पैनल के अनुमानों के मताबिक साल 2009-10 में 38.2 फीसदी आबादी गरीब थी जो 2011-12 में घटकर 29.5 फीसदी पर आ गई. इसके उलट तेंदुलकर कमेटी ने कहा था कि 2009-10 में गरीबों की आबादी 29.8 प्रतिशत थी जो, 2011.12 में घटकर 21.9 फीसदी रह गई.

तेंदुलकर कमेटी के रिपोर्ट की हुई थी आलोचना

सितंबर, 2011 में तेंदुलकर कमेटी के अनुमानों की भारी आलोचना हुई थी. उस समय, इन अनुमानों के आधार पर सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में कहा गया था कि अर्बन एरिया में प्रति व्यक्ति रोजाना 33 रुपये और रुरल एरिया में प्रति व्यक्ति रोजाना 27 रुपये खर्च करने वाले परिवारों को गरीबी रेखा से उपर समझा जाए.

रिव्यू के लिए बनाई रंगराजन कमेटी

सरकार ने तेंदुलकर कमेटी के पैरामीटर और तरीकों के रिव्यू के लिए पिछले साल रंगराजन कमेटी बनाई थी. ताकि देश में गरीबों की संख्या के बारे में भ्रम दूर किया जा सके. रंगराजन कमेटी के अनुमान के मुताबिक, कोई शहरी व्यक्ति यदि एक महीने में 1,407 रुपये (47 रुपये पहर दिन) से कम खर्च करता है तो उसे गरीब समझा जाय. जबकि तेंदुलकर समिति के पैमाने में यह राशि हर माह 1,000 रुपये (33 रुपये प्रतिदिन) थी. रंगराजन कमेटी ने रुरल एरिया में हर माह 972 रुपये (32 रुपये रोज) से कम खर्च करने वाले लोगों को गरीबी की कैटेगरी में रखा है. जबकि तेंदुलकर कमेटी ने यह राशि 816 रुपये हर माह (27 रुपये रोज) निर्धारित की थी. रंगराजन कमेटी के मुताबिक, 2011-12 में इंडिया में गरीबों की संख्या 36.3 करोड़ थी. जबकि 2009-10 में यह डेटा 45.4 करोड़ था. तेंदुलकर कमेटी के मुताबिक, 2009-10 में देश में गरीबों की संख्या 35.4 करोड़ थी जो 2011-12 में घटकर 26.9 करोड़ रह गई.

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