-सात सालों में 30 लाख 66 हजार का हिसाब नहीं

-स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने मांगा हिसाब

-सिलेंडर के यूज में भी घपले की तैयारी

-संचालन करने वाले सुपरवाइजर की पहले भी हुई थी कंप्लेन

RANCHI: रिम्स में साझा चूल्हा के नाम पर फ्0 लाख म्म् हजार रुपए का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। पिछले सात सालों में कितनी आमदनी हुई और जमा पैसा कहां गया, इसका हिसाब देने वाला कोई नहीं है। इस मामले में हेल्थ मिनिस्टर ने पिछले सात सालों का हिसाब मांगा है। लेकिन इसका हिसाब कौन देगा यह बताना मुश्किल है। मालूम हो कि साझा चूल्हा के संचालन का जिम्मा सुपरवाइजर प्रणव को दिया गया था, जिसने मरीज के परिजनों से न जाने कितने पैसे वसूल कर ठिकाने लगा दिए।

क्यों नहीं हुई जांच

साझा चूल्हा को लेकर पहले भी सुपरवाइजर प्रणव के खिलाफ कंप्लेन की गई थी। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने उसे बुलाकर फटकार भी लगाई थी। साथ ही सुपरिटेंडेंट को इस मामले को देखने को कहा गया था। इसके बावजूद सुपरिटेंडेंट ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और सबकुछ पहले की तरह ही चलता रहा।

हर रोज क्ख् सौ रुपए

साझा चूल्हा में मरीजों के परिजन खुद से खाना बनाते हैं, जहां उन्हें खुद से खाने का सामान लाना होता है। बर्तन उन्हें मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा लोगों को गैस चूल्हा इस्तेमाल करने के लिए प्रति घंटे की दर से दिया जाता है। ऐसे में दिन भर में एक हजार से क्ख् सौ रुपए की आमदनी होती है। इस पैसे का आज तक कोई हिसाब नहीं रखा गया है।

सिलेंडर का भी हिसाब नहीं

हास्पिटल से ख्0-ख्भ् लोग हर दिन आकर साझा चूल्हा में अपना खाना पकाते है। जहां लोगों से प्रति घंटे की दर से चार्ज लिया जाता है। लेकिन यहां सिलेंडर के यूज का भी कोई हिसाब नहीं है। जबकि लोगों के खर्च के हिसाब से एक दिन में एक सिलेंडर खत्म होना चाहिए। लेकिन यहां तो सिलेंडरों की खपत की लिमिट नहीं है। कुछ लोगों की मानें तो हर दो दिन में तीन सिलेंडर की खपत दिखाई जा रही है। ऐसे में सिलेंडर के नाम पर भी घपला किया जा रहा है।