-हर रोज 82 केस का होगा निपटारा तब खत्म होगी पेंडेंसी

-राजधानी में एक एसआई के भरोसे है 68 केस

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PATNA(30Aug)

: वारदातें होती है। उसके बाद एफआईआर भी दर्ज होती है लेकिन वो काम नहीं होता है जिसका जिम्मा थाने में तैनात पुलिस पदाधिकारियों को दिया जाता है। न केस की जांच होती है और नहीं वारदात को अंजाम देने वाले अपराधी पकड़े जाते हैं। जब केस की जांच ही नहीं होती है तो उसे जांच तक पहुंचाने के बारे में सोचना भी बेईमानी होगी। मामला पेंडिंग में पडे़ केसो का है। हैरानी की बात ये है कि पटना में अभी 30 हजार केस पेंडिंग है। यानी अगर हर रोज 82 केस का निपटारा किया जाएगा तब ये पेंडेंसी कम होगी लेकिन ऐसा संभव नहीं दिखता है। दरअसल पटना के थाने में हर रोज 40 से अधिक मामले में दर्ज होते हैं। ऐसे में जब पुलिस पुराना पेंडेंसी को खत्म करती है तो उसके सामने नए केस खड़े हो जाते हैं। ऐसे में पेंडेंसी कम नहीं हो पाती है। इस कारण आम लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है। लोग न्याय के लिए थाना, एसपी, एसएसपी, आईजी और डीजीपी तक गुहार लगाते हैं लेकिन इसके बाद भी उन्हे इंसाफ नहीं मिल पाता है।

एसपी को मिला एक महीने का टास्क

पटना के नए आईजी संजय सिंह ने पेंडिंग केस की समीक्षा की तो चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। पटना में 30 हजार केस पेंडिंग हैं। वहीं, नालंदा में 5 हजार केस पेंडिंग है। आईजी ने केस के निपटारा करने के लिए सभी एसपी को एक महीने का टास्क दिया है। आईजी ने एक साथ 5 एसपी को एक महीने में कुल 600 पेंडिंग केसों को निपटाने का आदेश दिया है। जिन्हें टास्क सौंपा गया है, उनमें पटना के एसपी वेस्ट, एसपी सेंट्रल, एसपी ईस्ट, ग्रामीण एसपी और नालंदा के एसपी शामिल हैं।

ग्रामीण एसपी को 100 केस

आईजी ने पटना के तीनों सिटी एसपी और ग्रामीण एसपी को एक महीने में 100-100 पेंडिंग केस निपटाने का आदेश दिया है। जबकि नालंदा जिले के एसपी को 200 पेंडिंग केस निपटाने को कहा है। इसके साथ ही आईजी ने थानों में दर्ज हुए केस के अलावा डिपार्टमेंटल कार्रवाई के मामले में भी तेजी लाने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस को ये कोशिश करनी चाहिए कि पटना में हर महीने जितने केस दर्ज हो रहे हैं। उससे अधिक केस का निपटारा किया जाए। इसके बाद भी पेंडेंसी केस खत्म हो पाएगा।

इस कारण से बढ़ रही पेंडेंसी

1. अफसरों की कमी : पेंडेंसी के पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वो ये है कि थाने में अफसरों की कमी है। वर्तमान में अभी पटना में 874 एसआई हैं। इसमें 50 फीसदी यानी 437 को लॉ एंड ऑर्डर में लगा दिया गया है। ऐसे में 50 फीसदी के भरोसे पेंडेंसी केस है। ऐसे में अगर देखा जाए तो एक एसआई के भरोसे 68 केस है। ऐसे में काफी तेजी से काम करना पड़ेगा।

2. केस का बढ़ना : पुलिस जब तक पुराने मामले का निपटारा करती है तब तक उसके सामने नए मामले आ जाते हैं। पटना हर महीने करीब 3 हजार केस दर्ज होते हैं। ऐसे में पुलिस पर दोहरा भार बढ़ जाता है। इसके साथ ही शहर में कोई बड़ी घटना होने के बाद पुलिस उसमें केंद्रित हो जाती। इसके बाद केस की पेंडेंसी बढ़ती जाती है और लोग परेशान होते रहते हैं।

3. पीडि़त का उपस्थित न होना : कई केस पुलिस के पास ऐसे भी होते हैं जिसमे पुलिस को जांच में काफी परेशानी होती है। लोग केस दर्ज करा देते हैं लेकिन पुलिस जब जांच के लिए बुलाती है तब वो लोग नहीं आते हैं। कई बार लोगों का एड्रेस और मोबाइल नंबर बदल जाता है। इस कारण पुलिस को जांच में परेशानी होती है और केसी की पेंडेंसी बढ़ती जाती है।

पटना में दर्ज कॉनिजेबल केस

महीना केस

जनवरी 2996

फरवरी 2934

मार्च 3283

अप्रैल 2673

मई 2644

कुल 14530

वर्जन

पेंडिंग में करीब 30 हजार पेंडिंग केस है। काफी तेजी से पेडिंग केस का निपटाया जा रहा है। सभी एसपी को जल्द से जल्द केस को निपटारा करने का आदेश दिया गया है। हर दर्ज होने वाली केस से ज्यादा केस निपटाने का टास्क लेकर हम लोग चल रहे हैं।

-संजय सिंह, आईजी रेंज पटना