RANCHI खूबसूरत जंगलों और शानदार वाटरफॉल्स से सजा झारखंड पर्यटकों का 'स्वर्ग' बनने की ओर अग्रसर है। पिछले छह सालों में यहां पर्यटकों की आमद 209 प्रतिशत तक बढ़ गई है, वहीं इसी दौरान यहां फॉरेन टूरिस्ट की संख्या 300 प्रतिशत तक बढ़ गई है। पर्यटकों की आमद बढ़ने की वजह झारखंड में नक्सलवाद का कमजोर पड़ना और यहां के हसीन वादियों की खूबसूरती है।

मिलेंगी बेहतरीन फैसिलिटीज

झारखंड में पर्यटकों की बढ़ती संख्या के मददेनजर झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में पर्यटन विकास के लिए 160 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया है। इसके अलावा सरकार प्रसाद योजना के तहत झारखंड में इको टूरिज्म सर्किट डेवलप कर रही है जिससे देवघर, बासुकीनाथ, इटखोरी, रजरप्पा, दलमा और अंजनधाम को कनेक्ट किया जाना है। इसके अतिरिक्त पतरातू डैम को मेजर टूरिस्ट स्पॉट के रुप में डेवलप किया जाना प्रस्तावित है।

पब्लिसिटी बढ़ी, पर्यटक बढ़े

शांति टूर एंड ट्रेवल्स के ऑनर प्रशांत शुक्ला ने बताया कि झारखंड में टूरिस्ट बढ़ने की बढ़ी वजह हाल के दिनों में यहां के टूरिस्ट स्पॉट की पब्लिसिटी है। चाहे वह इटखोरी महोत्सव हो अन्य कार्यक्रम सरकार यहां के टूरिज्म स्पॉट का प्रचार कर रही है। इससे पर्यटकों में उत्सुकता बढ़ी है वहीं हाल के दिनों में यहां कानून-व्यवस्था की हालत में भी सुधार हुआ है जिससे पर्यटक बढ़े हैं।

300 प्रतिशत तक बढ़े इंटरनेशनल टूरिस्ट

झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के जीएम राजीव रंजन ने बताया कि झारखंड में 2011-2016 के बीच इंटरनेशनल टूरिस्ट 300 प्रतिशत तक बढ़े हैं, वहीं इस अवधि में डोमेस्टिक टूरिस्ट 21 प्रतिशत तक बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड में सबसे ज्यादा पर्यटक देवघर और दुमका जिले में आते हैं। श्रावणी मेले में यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके बाद गिरिडीह और रांची में भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। रंजन ने बताया कि झारखंड में टूरिस्ट की बढ़ती संख्या की वजह यहां नक्सलवाद का कमजोर होना और यहां की हसीन वादियों की खूबसूरती है।

कुल 209 प्रतिशत बढ़े पर्यटक

इकोनोमिक सर्वे 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से 2016 के बीच पर्यटकों की संख्या 209 प्रतिशत तक बढ़ी है। वर्ष 2011 में यहां डोमेस्टिक और इंटरनेशनल मिलाकर 1,07,96,286 पर्यटक आये वहीं 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 3,33,89,286 हो गया।

ऐसे बढ़ते गये सैलानी

वर्ष पर्यटकों की संख्या

2016 - 3,33,89,286

2015 - 3,30,79,530

2014 - 3,24,27,144

2013 - 2,05,11,160

2012 - 2,04,21,016

2011 - 1,07,96,286