Patna : दलदली, पटना की तन्नी कुमारी डरपोक थी। वह भीड़ में जाने डरती थी। इससे उसके पापा सुरेश प्रसाद व मम्मी रेणु देवी परेशान रहते थे। तब तन्नी सेंट जेवियर स्कूल की स्टूडेंट थी.


छेडऩे पर छठी का दूध याद दिलाएंगी ताइक्वांडो गल्र्स
तन्नी के स्कूल में ही ताइक्वांडो की ट्रेनिंग होती थी। गल्र्स-ब्वॉयज को खेलते देख उसने भी ताइक्वांडो ज्वाइन करने सोची। इस फैसले से उसकी मम्मी और पापा बेहद खुश हुए। तन्नी ने ताइक्वांडो सीखना शुरू कर दिया। अब उसके मन से डर खत्म हो गया। आत्मविश्वास मजबूत हुआ। सेल्फ डिफेंस के लिए ताइक्वांडो सीखने आई तन्नी ने कई नेशनल मेडल अपनी झोली में डाल लिए। तन्नी की तरह सैंकड़ों गल्र्स ताइक्वांडो सीख रही है, लेकिन तन्नी इससे संतुष्ट नहीं है। वह कहती है कि हर लड़की को ताइक्वांडो सीखना चाहिए। तभी उनके खिलाफ हिंसा रुकेगी। मार्शल आर्ट सीखने से वे फिजिकली और मेंटली तो मजबूत होंगी ही, साथ में मेडल जीतने पर उनका नाम होगा। तन्नी ने चार नेशनल टूर्नामेंट खेले हैं। इसमें दो गोल्ड और दो ब्रांज जीते.
दुबले होने के लिए सीखा ताइक्वांडो
लखीसराय की दीपा कुमारी पहले काफी मोटी थी। लोग उसे मोटी कहकर बुलाते थे। दुबली होने के लिए उसने ताइक्वांडो ज्वाइन किया। समय के साथ उसका वजन कम होता गया, लेकिन ताकत बढ़ती गई। दीपा पहले डिस्ट्रिक्ट फिर स्टेट और अब नेशनल लेवल पर वह जलवा दिखा रही है। दीपा ने 2007 से ताइक्वांडो खेलना शुरू किया। अब उसने नेशनल लेवल पर 2 गोल्ड और 6 ब्रांज मेडल अपने नाम किए हैं। वह कहती है कि मैं तो चाहती हूं कि कोई छेड़े और मुझे हाथ साफ करने का मौका मिले. 
वीरांगना है मोनिका
शेखपुरा की मोनिका वीरांगना नाम की तरह ही वीरता दिखाती है। जब वह फाइट के लिए उतरती है तो सामने वाले के दांत खट्टे कर देती है। मोनिका का शुरू से ही ताइक्वांडो की ओर रुझान था। उसके पापा ओम प्रकाश पाण्डेय फिजिकल टीचर हैं। इस कारण उसे शुरू से ही स्पोट्र्स की ट्रेनिंग मिलने लगी। वह कहती है कि गल्र्स को फिजिकली मजबूत होना जरूरी है। क्योंकि कमजोर समझकर ही लड़के छेड़ते हैं और कमेंट करते हैं। एक बार पलटकर जवाब देने के बाद लड़के भाग खड़े होते हैं। मोनिका नेशनल टूर्नामेंट में 2 सिल्वर और 1 गोल्ड जीत चुकी है. 
गोल्डेन गर्ल है पूजा
संस्कार पब्लिक स्कूल में क्लास 8 की स्टूडेंट पूजा ने छोटी उम्र में ही मेडल की ढेर लगा चुकी है। 2006 से उसने ताइक्वांडो खेलना शुरू किया। तब से अब तक उसने 4 गोल्ड, 2 सिल्वर और 1 ब्रांज मेडल जीते हैं। पूजा देखने में छोटी दिखती है, लेकिन कई बड़ों को भी धूल चटा चुकी है। वह कहती है कि जबसे मैंने ताइक्वांडो ज्वाइन किया लोग मुझसे डरने लगे हैं। स्कूल हो या सड़क मैं निडर होकर रहती हूं। अब तक मुझे ऐसा मौका नहीं मिला है कि कोई मुझे या मेरे सामने किसी को छेड़े। यदि हर लड़की ताइक्वांडो सीख ले तो कोई उसके पास भी नहीं फटकेगा. 

नाम : पूजा कुमारी
अचीवमेंट्स
साल        टूर्नामेंट                       प्लेस              मेडल
2006    नेशनल सब जूनियर            हरियाणा             ब्रांज
2007    नेशनल सब जूनियर            भोपाल              सिल्वर
2008    नेशनल सब जूनियर            भोपाल              सिल्वर
2009    नेशनल सब जूनियर            विशाखापत्तनम      गोल्ड
2010    नेशनल सब जूनियर            असम               गोल्ड
2011    नेशनल सब जूनियर            गोवा                गोल्ड
2012    नेशनल सब जूनियर            लखनऊ            गोल्ड.

नाम : दीपा कुमारी
अचीवमेंट्स
2009    नेशनल स्कूल गेम्स          गोवा                  ब्रांज
2010    नेशनल टूर्नामेंट अंडर-17   मुम्बई                 ब्रांज
2011   नेशनल जोनल अंडर-17     रांची                  गोल्ड
2011   नेशनल जोनल अंडर-19     रांची                  गोल्ड
2011   नेशनल जोनल अंडर-17     बैंग्लुरु                ब्रांज
2012   नेशनल जूनियर               अरुणाचल प्रदेश      ब्रांज

नाम : तन्नी कुमारी
अचीवमेंट्स
2012    नेशनल जूनियर          अरुणाचल प्रदेश       ब्रांज
चार स्टेट टूर्नामेंट खेला। इसमें 2 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल जीता. 

नाम : मोनिका वीरांगना
अचीवमेंट्स
2010      नेशनल सब जूनियर     मुम्बई                सिल्वर
2011      नेशनल सब जूनियर     एमपी                सिल्वर
2012      नेशनल सब जूनियर     लखनऊ             गोल्ड

छेडऩे पर छठी का दूध याद दिलाएंगी ताइक्वांडो गल्र्स
तन्नी के स्कूल में ही ताइक्वांडो की ट्रेनिंग होती थी। गल्र्स-ब्वॉयज को खेलते देख उसने भी ताइक्वांडो ज्वाइन करने सोची। इस फैसले से उसकी मम्मी और पापा बेहद खुश हुए। तन्नी ने ताइक्वांडो सीखना शुरू कर दिया। अब उसके मन से डर खत्म हो गया। आत्मविश्वास मजबूत हुआ। सेल्फ डिफेंस के लिए ताइक्वांडो सीखने आई तन्नी ने कई नेशनल मेडल अपनी झोली में डाल लिए। तन्नी की तरह सैंकड़ों गल्र्स ताइक्वांडो सीख रही है, लेकिन तन्नी इससे संतुष्ट नहीं है। वह कहती है कि हर लड़की को ताइक्वांडो सीखना चाहिए। तभी उनके खिलाफ हिंसा रुकेगी। मार्शल आर्ट सीखने से वे फिजिकली और मेंटली तो मजबूत होंगी ही, साथ में मेडल जीतने पर उनका नाम होगा। तन्नी ने चार नेशनल टूर्नामेंट खेले हैं। इसमें दो गोल्ड और दो ब्रांज जीते।

दुबले होने के लिए सीखा ताइक्वांडो
लखीसराय की दीपा कुमारी पहले काफी मोटी थी। लोग उसे मोटी कहकर बुलाते थे। दुबली होने के लिए उसने ताइक्वांडो ज्वाइन किया। समय के साथ उसका वजन कम होता गया, लेकिन ताकत बढ़ती गई। दीपा पहले डिस्ट्रिक्ट फिर स्टेट और अब नेशनल लेवल पर वह जलवा दिखा रही है। दीपा ने 2007 से ताइक्वांडो खेलना शुरू किया। अब उसने नेशनल लेवल पर 2 गोल्ड और 6 ब्रांज मेडल अपने नाम किए हैं। वह कहती है कि मैं तो चाहती हूं कि कोई छेड़े और मुझे हाथ साफ करने का मौका मिले. 

वीरांगना है मोनिका
शेखपुरा की मोनिका वीरांगना नाम की तरह ही वीरता दिखाती है। जब वह फाइट के लिए उतरती है तो सामने वाले के दांत खट्टे कर देती है। मोनिका का शुरू से ही ताइक्वांडो की ओर रुझान था। उसके पापा ओम प्रकाश पाण्डेय फिजिकल टीचर हैं। इस कारण उसे शुरू से ही स्पोट्र्स की ट्रेनिंग मिलने लगी। वह कहती है कि गल्र्स को फिजिकली मजबूत होना जरूरी है। क्योंकि कमजोर समझकर ही लड़के छेड़ते हैं और कमेंट करते हैं। एक बार पलटकर जवाब देने के बाद लड़के भाग खड़े होते हैं। मोनिका नेशनल टूर्नामेंट में 2 सिल्वर और 1 गोल्ड जीत चुकी है. 

गोल्डेन गर्ल है पूजा
संस्कार पब्लिक स्कूल में क्लास 8 की स्टूडेंट पूजा ने छोटी उम्र में ही मेडल की ढेर लगा चुकी है। 2006 से उसने ताइक्वांडो खेलना शुरू किया। तब से अब तक उसने 4 गोल्ड, 2 सिल्वर और 1 ब्रांज मेडल जीते हैं। पूजा देखने में छोटी दिखती है, लेकिन कई बड़ों को भी धूल चटा चुकी है। वह कहती है कि जबसे मैंने ताइक्वांडो ज्वाइन किया लोग मुझसे डरने लगे हैं। स्कूल हो या सड़क मैं निडर होकर रहती हूं। अब तक मुझे ऐसा मौका नहीं मिला है कि कोई मुझे या मेरे सामने किसी को छेड़े। यदि हर लड़की ताइक्वांडो सीख ले तो कोई उसके पास भी नहीं फटकेगा. 

 

नाम : पूजा कुमारी

अचीवमेंट्स

साल        टूर्नामेंट                        प्लेस                मेडल

2006    नेशनल सब जूनियर            हरियाणा             ब्रांज

2007    नेशनल सब जूनियर            भोपाल              सिल्वर

2008    नेशनल सब जूनियर            भोपाल              सिल्वर

2009    नेशनल सब जूनियर            विशाखापत्तनम      गोल्ड

2010    नेशनल सब जूनियर            असम               गोल्ड

2011    नेशनल सब जूनियर            गोवा                गोल्ड

2012    नेशनल सब जूनियर            लखनऊ            गोल्ड।

 

नाम : दीपा कुमारी

अचीवमेंट्स

2009    नेशनल स्कूल गेम्स            गोवा                  ब्रांज

2010    नेशनल टूर्नामेंट अंडर-17     मुम्बई                 ब्रांज

2011   नेशनल जोनल अंडर-17       रांची                  गोल्ड

2011   नेशनल जोनल अंडर-19       रांची                  गोल्ड

2011   नेशनल जोनल अंडर-17       बैंग्लुरु                 ब्रांज

2012   नेशनल जूनियर               अरुणाचल प्रदेश        ब्रांज

 

नाम : तन्नी कुमारी

अचीवमेंट्स

2012    नेशनल जूनियर           अरुणाचल प्रदेश         ब्रांज

चार स्टेट टूर्नामेंट खेला। इसमें 2 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल जीता. 

 

नाम : मोनिका वीरांगना

अचीवमेंट्स

2010      नेशनल सब जूनियर        मुम्बई                सिल्वर

2011      नेशनल सब जूनियर        एमपी                सिल्वर

2012      नेशनल सब जूनियर        लखनऊ               गोल्ड