PATNA : छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना के पूजा के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ। खीर का महाप्रसाद ग्रहण के बाद श्रद्धालु दो दिनों तक भगवान भास्कर की आराधना में लग गए हैं। सोमवार चैत्र शुक्ल षष्ठी को सर्वार्थ सिद्धि योग में अस्ताचगामी सूर्य देवता को पहला अ‌र्घ्य देंगे। संध्या अ‌र्घ्य का शुभ समय शाम 05:58 बजे से 06:07 बजे तक है। मंगलवार सप्तमी तिथि को द्विपुष्कर योग में उदीयमान सूर्य को दूध और जल से अ‌र्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा। प्रात: कालीन अ‌र्घ्य का शुभ समय सुबह 05 : 52 बजे से 06:15 बजे तक है। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने ये जानकारी देते हुए बताया कि इस बार छठ महापर्व ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में मनाया जाएगा .यह पर्व पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि-विधान से छठ का व्रत करते हैं। छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है । मान्यता है कि इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है।

सूर्य के साथ इनकी पत्‍‌नी उषा-प्रत्युषा की भी होगी पूजा

पंडित झा ने कहा कि देवताओ में सूर्य ऐसे देवता हैं जिनको प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। सूर्य की शक्ति का मुख्य स्त्रोत उनकी पत्‍‌नी उषा और प्रत्युषा हैं। छठ में सूर्य के साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है । पहले सायंकालीन अ‌र्घ्य में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्युषा) और फिर उदीयमान सूर्य की पहली किरण (उषा) को अ‌र्घ्य देकर नमन किया जाएगा।

सायंकालीन अ‌र्घ्य से शांति, उन्नति

ज्योतिषी झा के अनुसार शाम को भगवान भास्कर को जल से अर्घ्य देने से मानसिक शांति और जीवन में उन्नति होती है।

लाल चंदन, फूल के साथ अर्घ्य से यश की प्राप्ति होती है। कलयुग के प्रत्यक्ष देवता सूर्य को जल में गुड़ मिलाकर अर्घ्य देने से पुत्र और सौभाग्य का वरदान मिलता है .वहीं प्रात:काल जल में रक्त चंदन, लाल फूल, इत्र के साथ ताम्रपात्र में आरोग्य के देवता सूर्य को अ‌र्घ्य देने से आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है। स्थिर एवं महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए सूर्य को दूध का अ‌र्घ्य देना चाहिए।

छठ महापर्व के सामग्री का विशेष महत्व

सूप,डाला- अ‌र्घ्य में नए बांस से बनी सूप व डाला का इस्तेमाल किया जाता है। सूप से वंश वृद्धि होती है और वंश की रक्षा होती है ।

-ईख- ईख आरोग्यता का घोतक है ।

-ठेकुआ- ठेकुआ समृद्धि का घोतक है ।

-ऋतूफल- ऋतुफल के फल से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है।

ऐसे दे हैं अ‌र्घ्य

सूर्य उपासना के महापर्व में भगवान भास्कर को पीतल के पात्र से दूध तथा तांबे के पात्र से जल से अ‌र्घ्य देना चाहिए। चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के पात्र से सूर्य को अ‌र्घ्य नहीं देना चाहिए ।

गोसांई टोला की सरस्वती श्रीवास्तव ने बताया कि विगत 6 साल से चैती छठ व्रत कर रही हैं। मनोकामना पूरा होने पर छठी मईया का व्रत कर रही हूं । उनकी कृपा से धीरे-धीरे सब पूरा हो गया है। इस बार लॉकडाउन के कारण पूजन की तैयारी में काफी दिक्कत तो हो रही है, लेकिन जब एक बार संकल्प कर चुकी हूं तो उसको पूरा करके ही रहूंगी। मार्केट में जितना सामान मिल पा रहा है उतने से ही पूजा करेंगे। बांस का दउरा, सुपली नहीं मिल रहा। पीतल के बर्तन से ही भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देकर इस महापर्व को पूर्ण करूंगी। नदी,तालाब या गंगा घाट पर जाना नहीं है, इसलिए मैं अपने छत पर ही करूंगी और छठी मैया से प्रार्थना करूंगी कि इस महामारी को जल्द से जल्द निजात दिलाकर सब पहले जैसा सामान्य कर दें।