जिला प्रशासन के जबाव से कन्नी काट रहा कॉरपोरेशन

नहीं दिया वीटीएस रिकार्ड, एडीएम सिटी ने किया तलब

Meerut : 'केरोसिन की कालाबाजारी में शामिल लोगों ने सरकारी खजाने में डाका डालने का काम किया है। जो देशद्रोह है.' मेरठ में केरोसिन की कालाबाजारी में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के हाथ काले हो रहे हैं। एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी ने कॉरपोरेशन के अधिकारियों को अपराध की गंभीरता से कुछ इन शब्दों से रूबरू कराया। वहीं एडीएम ने साफ कर दिया कि देश के इस बड़े गोरखधंधे में कॉरपोरेशन की भागेदारी उजागर हो रही है।

नहीं मिला वीटीएस रिकार्ड

मेरठ में गत दिनों हाइवे स्थित रतिराम खूबचंद केरोसिन डिपो पर छापेमारी के दौरान एडीएम प्रशासन की टीम को 70 हजार लीटर से अधिक अवैध केरोसिन मिला था। यह केरोसिन डिपो को आवंटित स्टॉक से अधिक था। इस केस में पूर्ति विभाग की ओर से डिपो संचालक संजय गुप्ता के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया, वहीं डीएम अनिल ढींगरा के निर्देश पर एडीएम सिटी को जांच सौंपी गई। हालांकि कोर्ट ने डिपो संचालक को अग्रिम जमानत दे दी, किंतु इस पूरे प्रकरण में जिला पूर्ति विभाग के साथ-साथ आईओसीएल की भूमिका पर सवाल खड़ा कर दिया। जांच अधिकारी, एडीएम सिटी ने जांच के दौरान ऑयल कंपनी के वेदव्यासपुरी स्थित डिपो से गत 5 वर्ष में आने और जाने वाले टैंकरों को वेहिकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) का रिकार्ड तलब किया था, जो कंपनी ने अभी तक उपलब्ध नहीं कराया। लगातार 3 बार टालमटोल के बाद अब कंपनी ने यह रिकार्ड उपलब्ध कराने के लिए 3 माह का समय मांगा है।

लाल पट्टी का टैंकर क्यों?

रतिराम खूबचंद केरोसिन डिपो पर छापेमारी के दौरान एडीएम सिटी का मौके पर जो ट्रक बरामद हुआ है उसपर लाल रंग की स्ट्रिप (पट्टी) थी, जबकि केरोसिन के ट्रकों पर नीले रंग की स्ट्रिप होती है। लाल रंग की स्ट्रिप डीजल और पेट्रोल के टैंकरों पर लगी होती है। आईओसीएल को उसकी गाइडलाइन में घेरते हुए एडीएम से पूछा कि आखिर क्यों केरोसिन को गलत टैंकर से ट्रांसपोर्ट किया जा रहा था? इससे स्पष्ट है कि कहीं न कहीं आईओसीएल गोरखधंधे में शामिल है। जानबूझकर गुमराह करने के लिए गलत टैंकर में केरोसिन का ट्रांसपोर्ट किया जा रहा था। जिससे कि पहली बार देखने से अंदाजा न लग सके कि टैंकर में केरोसिन ट्रांसपोर्ट हो रहा है।

डायरेक्टर से होगी पूछताछ

एडीएम सिटी ने इस प्रकरण में आईओसीएल के जोनल स्तर के अधिकारियों से पूछताछ कर ली। ज्यादातर ने गोरखधंधे की जानकारी से इनकार किया। वहीं नोएडा स्थित नार्थ जोन के जोनल अधिकारी ने मेरठ में तैनात कंपनी के अधिकारियों पर पूछताछ के दौरान तेल माफिया के साथ मिलीभगत को ठीकरा फोड़ दिया। हालांकि जांच अधिकारी कॉरपोरेशन के अधिकारियों के बयान से संतुष्ट नजर नहीं आए, जिसपर एडीएम ने कंपनी के मुंबई कार्यालय में तैनात डायरेक्टर को पूछताछ के लिए तलब किया है। एडीएम ने आईओसीएल के डायरेक्टर गुरमीत ंिसंह को पूछताछ के लिए मेरठ बुलाया है।

फर्जी साइन से दी रिपोर्ट

जांच अधिकारी ने आईओसीएल का एक और फर्जीवाड़ा जांच के दौरान पकड़ा है। एडीएम सिटी ने जिन 16 बिंदुओं पर जबाव-तलब किया था उनमें से कुछ सूचनाएं फर्जी साइन से दी गई थी। शक होने पर एडीएम ने जब पड़ताल की तो मालूम चला कि सूचनाओं पर जिन अधिकारी के साइन थे, उसे पूरे घटनाक्रम की जानकारी भी नहीं है। और उसके फर्जी साइन करके रिपोर्ट दाखिल कर दी गई। एडीएम सिटी ने फर्जी साइन करने पर भी आईओसीएल के खिलाफ शिकंजा कसा है।

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आईओसीएल के अधिकारियों ने अभी तक 16 बिंदुओं पर जबाव नहीं दिए है। वीटीएस रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं कराया है। कंपनी के निदेशक को पूछताछ के लिए मेरठ बुलाया गया है। जांच के दौरान कई ऐसे तथ्य प्रकाश में आए हैं जो कॉरपोरेशन के अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा कर रहे हैं। विस्तृत जांच रिपोर्ट में सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।

-अजय कुमार तिवारी, एडीएम सिटी, मेरठ