-हार्मोनल डिसबैलेंस से बढ़ रही महिलाओं में समस्या

-इंडियन मीनोपॉज सोसाइटी की ओर से कांफ्रेंस का आयोजन

LUCKNOW :

मीनोपॉज या 40 की उम्र के बाद महिलाओं में ब्लीडिंग कैंसर जैसी बीमारियों का संकेत है। ऐसे में महिलाओं को स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। इससे गर्भाशय कैंसर जैसी समस्याओं को समय पर पहचान कर उन्हें ठीक किया जा सकता है। इंडियन मीनोपॉज सोसायटी की ओर से शनिवार को आयोजित फोर्टी प्लसकॉन 2018 कांफ्रेस में डॉक्टर्स ने यह जानकारी दी।

कराती रहें चेकअप

डॉक्टर्स ने बताया कि 40 से 45 की उम्र में महिलाओं में माहवारी बंद होती है। लेकिन एक बाद बंद होने के बाद दोबारा ब्लीडिंग हो तो यह खतरनाक है। डॉक्टर्स ने बताया कि यह हार्मोन्स में होने वाली गड़बड़ी के कारण हो सकता है। महिलाओं में घुटनों, जोड़ों की समस्याओं के साथ डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, गर्भाशय के मुंह का कैंसर, बीपी, मोटापा, हार्ट की समस्याएं तेजी से बढ़ती हैं। इसलिए चेकअप कराते रहना जरूरी है।

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पैप स्मीयर जांच जरूरी

35 से 45 साल की उम्र के बीच की महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का खतरा रहता है। इसलिए इन्हें पैप स्मीयर जांच करानी चाहिए। हर वर्ष गर्भाशय कैंसर से बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। एपीवी वायरस के संक्रमण के 5 से 8 साल बाद ही कैंसर होना शुरू होता है। पीठ में दर्द, वजन में कमी आदि इसके संकेत हैं

डॉ। यशोधरा प्रदीप, लोहिया इंस्टीट्यूट

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बढ़ते जा रहे केस

ओवरी कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लोगों में जांच के लिए जागरुकता बढ़ी है लेकिन केस बढ़े हैं। सरकारी स्तर पर इस दिशा में प्रयास की जरूरत है। इसके लिए इंडियन मीनोपॉज सोसाइटी प्रस्ताव तैयार कर सरकार को सौंपेगी। आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं केजरिए ग्रामीण महिलाओं को जागरुक किया जाएगा।

डॉ। दीपा कपूर, एसजीपीजीआई

एक्सरसाइज के साथ धूप भी लें

उम्र बढ़ने के साथ एक्सरसाइज जारी रखें। सुबह करीब आधे घंटे धूप सेकें। इससे हड्डियां मजबूत रहेंगी। दूध के प्रोडक्ट का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें। अपने आपको व्यस्त रखें। जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक से परहेज करें।

डॉ। आशना अशरफ

अधिक या कम ब्लीडिंग ठीक नहीं

माहवारी अधिक या बहुत कम होना ठीक नहीं है। यह कैंसर का संकेत है। अनियमित होने पर पैप स्मीयर, सोनोग्राफी कराएं। कैंसर के लक्षण मिलने पर बायोप्सी भी कराएं। 45 से अधिक उम्र में करीब 10 फीसद महिलाओं में दोबारा ब्लीडिंग शुरू होने का खतरा होता है।

डॉ। संगीता मेहरोत्रा