एड्स की चपेट में आने की वजह क्या
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LUCKNOW : प्रदेश की जेलों में एड्स के वायरस ने दस्तक दे दी है। अगर समय रहते कोई उपाय न किये गए तो हालात बेकाबू होने से कोई रोक नहीं सकता। आलम यह है कि प्रदेश की जेलों में इस वक्त 459 बंदियों को एचआईवी पॉजिटिव पाया गया है। भारत सरकार की बीते दिनों जारी रिपोर्ट में इस खुलासे के बाद से शासन में हड़कंप मचा हुआ है। शासन ने निर्देश जारी कर पूरे मामले की पड़ताल शुरू कर दी है कि आखिर पीडि़तों के एड्स की चपेट में आने की वजह क्या है।

79 हजार बंदियों की जांच

भारत सरकार की मीडिया स्कैन एंड वेरिफिकेशन सेल की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दिनों उत्तर प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंद 78,739 बंदियों के ब्लड सैंपल लेकर जांच की गई थी। इस जांच में कुल 559 लोगों में एचआईवी का वायरस री-एक्टिव पाया गया। जब इनकी प्राथमिक जांच की गई तो 459 बंदियों में एचआईवी पॉजिटिव निकला। मामला गंभीर होने की वजह से पीडि़तों की प्री-किट यानि अंतिम जांच की गई तो भी इन सभी 459 बंदियों में एचआईवी वायरस की पुष्टि हुई।

लखनऊ की जेलों में 67 बंदी एचआईवी पॉजिटिव
प्रदेश की जेलों में एचआईवी की दस्तक से लखनऊ की जेलें भी अछूती नहीं बची हैं। जहां लखनऊ जिला जेल में 18 बंदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए वहीं, मॉडल जेल और नारी बंदी निकेतन में कुल मिलाकर 49 बंदी एड्स की चपेट में पाए गए हैं। इसी तरह गाजियाबाद जिला जेल में 46, अलीगढ़ जिला जेल में 24, मुरादाबाद जिला जेल में 33, इलाहाबाद की नैनी सेंट्रल जेल में 21 बंदियों को एचआईवी पॉजिटिव पाया गया है। कानपुर, बरेली, मेरठ, इलाहाबाद जेल में भी एड्स पीडि़त मरीजों की संख्या चिंताजनक बताई जा रही है।

बनाई गई टीमें

प्रदेश की जेलों में इतनी बड़ी तादाद में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की तादाद ने शासन में हड़कंप मचा दिया है। जिसके बाद प्रदेश की एड्स कंट्रोल सोसायटी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कमेटी गठित कर पूरे मामले की पड़ताल शुरू कर दी गई है। इतना ही नहीं, शासन के निर्देश पर डॉक्टर्स की टीमें गठित कर उन्हें उन सभी जेलों में मरीजों की जांच के लिये भेजा गया है, जहां पर एचआईवी पॉजिटिव मरीज मिले हैं। डॉक्टर्स की यह टीमें सभी मरीजों की जांच करने के साथ ही उनका विवरण भी जुटा रही हैं।

'जेलों में 2015 लगातार सर्वे चल रहा है, जिसमें मरीज सामने आए हैं और उनका इलाज कराया जा रहा है। देश में जेलों में जांच कराने वाला यूपी ही एक मात्र राज्य है जहां ऐसा सर्वे कराया जा रहा है।'
- उमेश मिश्र, एडीशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर, यूपीसैक्स

फैक्ट फाइल
- जेलों में बंद 78,739 बंदियों की जांच की गई
- कुल 559 लोगों में एचआईवी का वायरस री-एक्टिव पाया गया
- प्री-किट यानि अंतिम जांच की गई तो भी सभी 459 बंदियों में एचआईवी वायरस की पुष्टि

कहां कितने एचआईवी पॉजिटिव
- लखनऊ 67  
- गाजियाबाद 46
- अलीगढ़ 24
- मुरादाबाद 33
- इलाहाबाद 21

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