अचानक निरीक्षण के दौरान पता चली सच्चाई
पुर्व मुख्य न्यायधीश एच एल दत्तु ने बताया कि वो एक बार उन्होंने सोचा कि सरकार द्वारा संचालित दिव्यांग बच्चों के के घरों का औचक निरीक्षण किया जाये। और जब उन्होंने ऐसा किया तो तो वो ये देख कर स्तब्ध रह गए कि ऐसे एक घर में 49 बच्चों के लिए एक टूथ पेस्ट और एक ही ब्रश उपलब्ध था। दत्तु का कहना है कि ये बताना महत्वपूर्ण नहीं है कि ये किस राज्य के किस दिव्यांग ग्रह की स्थिति थी। उनका कहनाहै कि पूरे देश में दिव्यांग बच्चों के ये सरकारी मदद से चललने वाले आवास सबसे ज्यादा उपेक्षित स्थान हैं।

वृद्धा आश्रमों में भी यही हाल
दत्तु जब से मुख्य न्यायधीश के पद से सेवानिवृत्त हो कर राष्ट्रीय मानवाधिकार कमीशन के चेयरपर्सन बने हैं अक्सर बंगलुरू स्थित सरकार द्वारा संचालित  ओल्ड एज होम में भी काफी समय बिताते रहे हैं।  उन्होंने कहा कि ज्यादातर वृद्धाश्रमों की भी कमोबेश यही स्थिति है और सरकारी मदद से उनकी स्थिति सुधारने की कोई कोशिश नहीं हो रही है।

HL Dattu

मदद नहीं सुविधायें बढ़ायें
श्री दत्तु को मानना है कि चाहे दिव्यांग आश्रम हों या वृद्धाश्रम सरकारी पैसे का इस्तेमाल ऐसे लोगों पर तरस खा कर कुछ मदद करने के लिए इस्तेमाल करने की बजाये इस आवासों को बेहतर सुविधायें देकर उनकी स्थिति सुधारने के लिए किया जाना चाहिए।

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