1- भारत समर्थित पार्टियों की करारी हार
नेपाली संसद के लिए हुए सीधे चुनाव में वाम गठबंधन अभी तक 165 में से 113 सीटें जीत चुका है, जबकि भारत समर्थक माने जाने वाले नेपाली कांग्र्रेस को महज 21 सीटों से ही संतोष करना पड़ रहा है। ऐसे में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व में इस महीने के अंत तक वामपंथी दलों की सरकार बननी तय मानी जा रही है।
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2- ओली सरकार गिराने की पीछे मानते हैं भारत का हाथ
2015 में ओली की सरकार नौ महीने में ही संसद में बहुमत नहीं साबित करने के कारण गिर गई थी। तब आरोप लगा था कि ओली की सरकार गिराने के लिए पीछे भारत का हाथ है।
3- मधेशी आंदोलन के लिए भारत को मानते हैं दोषी
यही नहीं, ओली की सरकार के दौरान प्रस्तावित संविधान के खिलाफ तराई के इलाकों में प्रबल मधेशी आंदोलन उठ खड़ा हुआ था। नेपाल में वाम दल इसके लिए भी भारत को जिम्मेदार ठहराते हैं।
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4- ट्रकों की आवाजाही रुकने से रिश्ते हुए थे खराब
मधेशी आंदोलन के दौरान ट्रकों की आवाजाही पर रोक लगाने से ओली सरकार के भारत के साथ रिश्ते सबसे निचले स्तर पर आ गए थे। इसके बाद केपी ओली ने चीन की तरफ हाथ बढ़ाया।
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5- नेपाल की हरसंभव मदद को चीन है तैयार
भारत को घेरने की कोशिश में जुटा चीन नेपाल की भारत पर निर्भरता खत्म करने के लिए हरसंभव मदद को तैयार है। ऐसे में आशंका है कि केपी ओली की नई सरकार भारत की कीमत पर चीन के साथ नए सिरे से दोस्ती का हाथ बढ़ा सकती है।
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वामपंथी नेताओं से व्यक्तिगत रिश्तों से ही उम्मीद
भारत के लिए राहत की बात इतनी है कि भले ही सीधे चुनाव में नेपाली कांग्र्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई हो, लेकिन अप्रत्यक्ष चुनाव में उसे अधिक सीटें मिलने की उम्मीद है। नेपाली संसद में 111 सीटें अप्रत्यक्ष चुनाव से भरी जाती है। यही नहीं, पहली बार 21 मधेशी नेता भी संसद में पहुंच रहे हैं। ऐसे में एक मजबूत विपक्ष वामपंथी दलों की मनमानी को रोकने में सफल हो सकता है। इसके अलावा भारत की ओर से नेपाल के वामपंथियों को व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर साधने की भी कोशिश शुरू हो गई है। बताया जाता है कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव के केपी ओली के साथ बहुत अच्छे संबंध है। वामपंथी दलों की जीत के संकेत मिलते ही राम माधव ने ट्विटर पर उन्हें जीत की बधाई भी दे दी। इसी तरह से दूसरे वामपंथी दल के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड के भी भारतीय नेताओं के साथ नजदीकी रिश्ते हैं। भारत की कोशिश इन व्यक्तिगत संबंधों के सहारे नेपाल में कूटनीति को साधने की होगी।
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Report by : नीलू रंजन, नई दिल्ली
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