1. नींद में कमी :- अगर आप सुबह 6 बजे उठना चाहते हैं लेकिन देरी न हो जाए तो घड़ी को आधा घंटा आगे कर देते हैं। इसका मतलब है कि आप अपनी घड़ी के हिसाब से 5:30 बजे ही उठ जाते हैं। ऐसे में 30 मिनट जो आपको अतिरिक्त सोने को मिलता है वह नींद की गणना में कम हो जाता है। जिसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
2. ट्रैफिक एक्सीडेंट :- कहते हैं कि समय पर आपका बस नहीं चलता। ऐसे में अगर समय के साथ छेड़छाड़ करते हैं तो यह आप पर भारी पड़ सकता है। रिसचर्स मानते हैं कि टाइम बचाने के लिए जो लोग घड़ी की सुईयां आगे बढ़ा देते हैं उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। इसमें सबसे बड़ा खतरा ट्रैफिक एक्सीडेंट का होता है। दरअसल जब आप टाइम आगे करते हैं तो आपकी नींद कम हो जाती है ऐसे में वाहन चलाते समय अगर पलक झपकी तो बड़ा एक्सीडेंट हो सकता है।
3. काम पर प्रभाव :- समय बढ़ाने का एक और साइड इफेक्ट है, वो है आपका काम। आप घड़ी की सुईयों को तो अपने हिसाब से सेट कर लेते हैं लेकिन आपका बॉस तो रियल टाइम को ही मानता है। ऐसे में समय में गड़बड़ी काम पर गलत प्रभाव डालती है।
4. हॉर्ट अटैक का खतरा :- घडी का समय खुद निर्धारित करना सिर्फ आपके काम को ही नहीं, बल्कि आपके दिल को भी प्रभावित कर सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो इन डेनवर में हॉर्ट स्पेशिलिस्ट अमनीत संधू ने कहा कि सोमवार की सुबह दिल के दौरों के ज्यादातर मामले सामने आने का एक कारण कारकों का समायोजन भी हो सकता है। आने वाले सप्ताह में नए काम, नई परियोजना की शुरूआत करने का तनाव हमारे सोने और जगने के चक्र में परिवर्तन कर देता है। इससे हॉर्ट अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
5. सुसाइड :- टाइम मैनेजमेंट के साथ खिलवाड़ आपकी जिंदगी के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकता है। इसका अंदाजा आपको शायद न हो लेकिन घड़ी की सुई में बदलाव करने से सुसाइड का रिस्क बना रहता है। क्योंकि आपने जल्दी पहुंचने के लिए टाइम बढ़ाया था इसके बावजूद भी लेट होते हैं तो यह आपको डिप्रेशन में डाल सकता है। और सुसाइड का खतरा बढ़ जाता है।
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