कानपुर। भारत और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट मैच का इतिहास काफी पुराना है। टीम इंडिया ने क्रिकेट सफर की शुरुआत अंग्रेजों के खिलाफ ही की थी। साल 1932 में सीके नायडू की कप्तानी में भारत ने लॉर्ड्स में अपना पहला टेस्ट खेला था। पहले ही टेस्ट में भारत को करारी हार मिली थी। खैर हार-जीत का ये सिलसिला समय के साथ आगे बढता रहा। उधर देश को आजादी भी मिल गई। भारत को स्वतंत्र होने के बाद टीम इंडिया को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट जीत के लिए 5 साल लंबा इंतजार करना पड़ा हालांकि 1952 में वो दिन भी आया जब भारतीय क्रिकेट टीम ने आजादी के बाद अंग्रेजों के खिलाफ पहली टेस्ट जीत दर्ज की।

ऐसा था वो ऐतिहासिक मैच

ईएसपीएन क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, इंग्लिश टीम साल 1952 में जनवरी-फरवरी में भारत का दौरा करने आई थी। पांच मैचों की सीरीज में भारत 0-1 से पिछड़ चुका था। कानपुर टेस्ट हारने के बाद भारतीय टीम आखिरी टेस्ट खेलने चेन्नई पहुंची। उस वक्त टीम इंडिया की कमान विजय हजारे के हाथ में थी। हजारे चाहते थे वह आखिरी टेस्ट जीतकर सीरीज बराबर कर दें। खैर टॉस हुआ इंग्लिश कप्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया। पूरी इंग्लिश टीम 266 रनों पर सिमट गई। टीम के 6 बल्लेबाज दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंच सके। भारत की तरफ से मीनू मांकड़ ने सर्वाधिक 8 विकेट लिए। यह उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ बॉलिंग थी। जवाब में भारतीय टीम ने पहली पारी में 9 विकेट पर 457 रन बनाए और पारी घोषित कर दी। टीम इंडिया की तरफ से पंकज रॉय (111) और पाल उमरीगर (130) ने बहुत बड़ी साझेदारी की।

पारी के अंतर से भारत को मिली थी जीत

दूसरी पारी में इंग्लैंड के ऊपर बड़ा स्कोर बनाने का दबाव था, मगर भारतीय गेंदबाजों के आगे इस बार फिर इंग्लिश बल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए। टीम के सात बल्लेबाज तो दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंच पाए। इस बार गुलाम अहमद और मीनू मांकड़ ने 4-4 विकेट लेकर अंग्रेजों की कमर तोड़ दी। इंग्लैंड की दूसरी पारी 183 रन पर सिमट गई। ऐसे में भारत पहली पारी के आधार पर 8 रन आगे थे और यह मैच टीम इंडिया ने पारी और 8 रन से जीत लिया। आजादी के बाद भारतीय क्रिकेट टीम की अंग्रेजों के खिलाफ यह पहली टेस्ट जीत थी।

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