रांची : पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री रामचंद्र सहिस ने वर्ष 2024 तक राज्य की सौ फीसद आबादी को पाइपलाइन से शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का दावा किया है। शुक्रवार को सूचना भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 तक महज 12 फीसद ग्रामीण आबादी को नल और जल की सुविधा मुहैया थी, पिछले 4.5 सालों में यह दायरा बढ़कर 34.77 फीसद हो गया है। वर्ष 2020 तक पचास फीसद ग्रामीण आबादी और वर्ष 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण रूप से पाइपलाइन से जलापूर्ति के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। इस मौके पर पेयजल सचिव आराधना पटनायक और अभियंता प्रमुख श्वेताभ सुमन भी उपस्थित थे।

8 जिलों में पाइपलाइन से पानी

रामचंद्र सहिस ने सरकार की पिछले साल की उपलब्धियों को बताने के साथ ही भावी लक्ष्य को भी साझा किया। कहा, राज्य की ग्रामीण आबादी को शुद्ध पेयजल मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता है। इस कड़ी में 13,375 एससी और एसटी टोलों में 30 सितंबर तक नल जल की सुविधा मुहैया करा दी जाएगी। इतना ही नहीं राज्य के सभी 2251 आदिम जनजाति टोलों को भी इसी अवधि तक शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि डीएमएफटी फंड से राज्य के आठ जिलों में पाइपलाइन से जलापूर्ति की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। जल की गुणवत्ता की जांच के लिए सभी जिलों में प्रयोगशालाएं बनाई गई हैं।

स्वच्छता मिशन का लक्ष्य

मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य को एक वर्ष पूर्व ही हासिल कर लिया है। वर्ष 2015 में ओडीएफ का कवरेज जहां महज 16 प्रतिशत था, वह अब 100 फीसद तक पहुंच गया है। विभाग ने 55 हजार रानी मिस्त्रियों को इस कार्य से जोड़कर महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश की है।

सरकारी कार्यालयों में वॉटर हार्वेस्टिंग

मंत्री ने बताया कि भू-गर्भ जल स्तर बनाए रखने के लिए सभी सरकारी कार्यालयों में प्रखंड स्तर तक वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जाएगी। शुरुआत पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से की जाएगी। पेयजल सचिव आराधना पटनायक ने बताया कि भवन निर्माण विभाग भी इस दिशा में कार्य कर रहा है।

अवैध बॉटलिंग प्लांट पर शिकंजा

शहरी क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित बॉटलिंग प्लांट चलाने वालों पर सरकार के स्तर से शिकंजा कसा जाएगा। पेयजल मंत्री ने स्पष्ट किया कि शहरी क्षेत्रों में चल रहे ऐसे प्लांट पर नगर निगम के स्तर से कार्रवाई की जाती है। इंडस्ट्री डिपार्टमेंट का भी इसमें हस्तक्षेप होता है। हालांकि ऐसे सभी लोग जो अवैध रूप से भू-गर्भ जल का दोहन कर रहे हैं, उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। मुख्य सचिव को भी इस विषय पर पत्र लिखा गया है।

हैंडपंप की निर्भरता कम करेंगे

पेयजल सचिव आराधना पटनायक ने बताया कि राज्य में चार लाख से अधिक हैंडपंप ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। राष्ट्रीय मानक 125 व्यक्ति पर एक हैंडपंप का है, जबकि झारखंड में करीब 70 व्यक्तियों पर एक हैंडपंप है। ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा इससे कवर होता है। विभाग हैंडपंप की निर्भरता को कम करते हुए पाइपलाइन से जलापूर्ति योजना पर तेजी से काम कर रहा है।

रिचार्ज पिट पर जोर

पेयजल सचिव पटनायक ने बताया कि ड्राई जोन से निपटने के लिए रिचार्ज पिट पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि झारखंड में महज 16 ब्लॉक क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल जोन में पाए गए है। इनमें रांची, धनबाद और बोकारो सहित अन्य जिलों के कुछ प्रखंड शामिल हैं।