RANCHI : तीन सालों में 190 मेडल्स। सिल्ली आर्चरी सेंटर की यह उपलब्धि है। इस सेंटर के खुले तीन ही साल हुए हैं, पर यहां के आर्चर्स ने अपने परफॉर्मेस से स्टेट और नेशनल लेवल पर अलग पहचान बनाई है। फिलहाल यहां की तीन की तीन ग‌र्ल्स इंडिया कैंप में हैं। यहां ब्वॉयज और गर्ल, दोनों को निशाना साधने की ट्रेनिंग दी जाती है। सेंटर में आर्चर्स हर दिन आठ घंटे पसीना बहाते हैं। रेगुलर प्रैक्टिस कर रहे आर्चर्स का सपना राज्य और देश का नाम रौशन करना है।

2010 में खुला है सेंटर

सिल्ली आर्चरी सेंटर के तीन साल हो चुके हैं। यह सेंटर 2010 से रन कर रहा है। यहां आर्चर्स के टैलेंट को निखारा जा रहा है। इस एकेडमी के लिए स्कूल बेसिस पर आर्चर्स सेलेक्ट किए गए हैं। ट्रेनिंग ले रहे आर्चर्स में ब्वॉयज और ग‌र्ल्स, दोनों शामिल हैं। पिछले चार सालों से यहां 60 आर्चर्स निशाना साधने का गुर सीख रहे हैं। यहां ट्रेनिंग ले रहे आर्चर्स का अबतक का काफी अच्छा परफॉर्मेस रहा है। डिफरेंट आर्चरी कॉम्पटीशंस में यहां के आर्चर्स के खाते में 190 मेडल्स आ चुके हैं।

इंडिया कैंप में तीन आर्चर्स

सिल्ली आर्चरी सेंटर की तीन गर्ल आर्चर्स फिलहाल इंडिया कैंप में हैं। इनमें मधुमिता कुमारी एशियन ग्रांड पिक्स में पार्टिसिपेट कर चुकी हैं, जबकि दुर्गावती कुमारी को पिछले साल यूथ आर्चरी व‌र्ल्ड कप में शामिल होने का मौका मिला था। इसके अलावा अजंती कुमारी का सेलेक्शन जूनियर इंडिया कैंप के लिए हुआ है। ये तीनों ही आर्चर्स अबतक कई नेशनल व इंटरनेशनल आर्चरी इवेंट्स में पार्टिसिपेट कर चुकी हैं।

आर्चर्स के नाम 190 मेडल्स

इस सेंटर के अभी तीन साल ही पूरे हुए हैं, लेकिन यहां के आर्चर्स ने स्टेट और नेशनल लेवल के आर्चरी कॉम्पटीशंस में शानदार प्रदर्शन किया है। सेंटर्स के आर्चर्स के नाम 190 मेडल्स हैं। 2010-11 में यहां के आर्चर्स ने नेशनल लेवल पर 22 मेडल्स जीते थे, जबकि 2011-12 में सेंटर के आर्चर्स को नेशनल लेवल पर 19 और स्टेट लेवल पर 16 मेडल्स मिले थे। 2012-13 इस सेंटर के लिए गोल्डेन ईयर साबित हुआ, जब यहां के आर्चर्स ने नेशनल लेवल के आर्चरी कॉम्पटीशंस में 53 मेडल्स और स्टेट लेवल पर 80 मेडल्स अपने नाम किए।