-स्लीपर बदलने के बाद गोरखपुर से भी दौड़ लगा सकेंगी तेजस और वंदेभारत जैसी ट्रेंस

-60 केजी स्लीपर ट्रैक बदलने का काम शुरू, लगाए जा रहे हैं मजबूत चेंज स्विच

GORAKHPUR: गोरखपुर में ट्रेंस की रफ्तार बढ़ाने की कोशिशें तेज होने लगी हैं। पहले 90 और फिर 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक चलने वाली ट्रेंस को आगे 130 किमी की रफ्तार से दौड़ाया जाएगा। वहीं, तेजस और वंदे भारत जैसी ट्रेंस गोरखपुर से भी दौड़ लगाने लगेंगी। इसके लिए रेलवे ने स्लीपर बदलने का काम शुरू कर दिया है। एनई रेलवे के अंडर आने वाले छपरा से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। स्लीपर बदले जा रहे हैं, जिससे वैशाली, सप्तक्रांति, संपर्क क्रांति के साथ ही मुंबई रूट की एलटीटी और कुशीनगर जैसी ट्रेंस भी रफ्तार से फर्राटा भर सकें। गोरखपुर और लखनऊ रूट पर कई ट्रैक दुरुस्त कराया जा रहा है। वहीं नए ट्रैक जहां भी इंस्टॉल किए जा रहे हैं, उन्हें खास तौर पर स्पीड का ध्यान रखकर इंस्टॉल किया जा रहा है।

60 केजी स्लीपर का इस्तेमाल

रेलवे ने ट्रेंस की स्पीड बढ़ाने के लिए ट्रैक को भी अपग्रेड करने की शुरुआत कर दी है। जहां वर्कशॉप में ट्रैक का वेट अपग्रेड कर 52 से 60 किलो प्रति मीटर कर दिया गया है। इससे ट्रैक में स्थिरता आएगी और स्पीड बढ़ने के बाद भी एक्सिडेंट की संभावना काफी कम हो जाएगी। इतना ही नहीं, नए रेलवे ट्रैक में इस्तेमाल होने वाले लोगों को खास तरह से डिजाइन भी किया जा रहा है, जिससे कि पटरी से गाडि़यां न उतरें और रेलवे पैसेंजर्स को स्पीड के बाद भी सुरक्षित सफर करा सके।

140 स्पॉट्स पर बदल दिए ट्रैक

रेलवे में ट्रैक मेनटेंनेस की बात की जाए, तो बीते सालों में इसको लेकर काफी काम हुआ है। जहां करीब 105.10 ट्रैक किलोमीटर से ज्यादा ट्रैक की शोल्डर ब्लास्ट क्लीनिंग यानि कि उसके नीचे पड़ने वाली गिट्टी से डस्ट निकालकर उसे री-इंस्टॉल करने का काम हुआ है। तो वहीं 140 सेट ट्रैक भी बदले गए हैं। इतना ही नहीं ट्रैक पर लगे रबर पैड, जोकि डैमेज हो चुके थे, ऐसे 204 ट्रैक किलोमीटर को रिपेयर किया जा चुका है।

कहां क्या बदलाव

वर्क 2017-18 2018-19

ट्रैक रिन्यूअल - 88.19 53.60 ट्रैक किलोमीटर

डीप स्क्रीनिंग - 103.29 किमी 121.55 ट्रैक किलोमीटर

टीटीआर - 127.50 139.25

टीएफआर - 283.05 204.22

एसईजे रीन्यूअल 113 101

शोल्डर ब्लास्ट क्लीनिंग 82.2 105.10

काफी मिली है मदद, रिस्ट्रिक्शन हटा

एनई रेलवे के कई रूट्स पर ऐसे ट्रैक हैं, जहां जिम्मेदार चाहकर भी अपनी स्पीड को बढ़ा नहीं सकते हैं। ऐसे प्लेसेस पर भी एनई रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन ने काफी वर्क किया है। इन सब जगहों से स्पीड रिस्ट्रिक्शन जो लगा हुआ था, उसे ट्रैक को बेहतर कर हटाने की कोशिश जारी है। इस सीरीज में जहां 2017-18 में 3 स्पॉट से स्पीड रिस्ट्रिक्शन हटाया गया था, वहीं साल 2018-19 में ऐसे 10 स्पॉट पर वर्क कर स्पीड रिस्ट्रिक्शन हटा दिया गया है, जिससे ट्रैक पर ट्रेन तेज रफ्तार से दौड़ने लगी हैं।

रेलवे ने ट्रैक को बेहतर करने के लिए काफी कदम उठाए हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल ट्रैक सेफ्टी के लिए काफी काम हुए हैं। आगे भी यह वर्क जारी रहेंगे। नए स्लीपर जहां भी लगाए जा रहे हैं, वहां 60केजी स्लीपर का इस्तेमाल किया जा रहा है।

- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे