RANCHI : झारखंड के सरकारी व निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीई व बीटेक में दाखिले के लिए झारखंड इंजीनियरिंग प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा 7 मई को हो चुकी है। राज्य के 16 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6870 सीटों के लिए करीब 18 हजार स्टूडेंट्स ने परीक्षा लिखी है। अब देखना है कि रिजल्ट और काउंसलिंग के बाद कितने स्टूडेंट्स इन कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं, क्योंकि पिछले कई सालों का रिकॉर्ड काफी खराब रहा है। बीआईटी सिंदरी को छोड़कर सभी कॉलेजों में 70 परसेंट से ज्यादा सीटें खाली रह गई थी। यहां के स्टूडेंट्स अपने राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों की बजाय दूसरे राज्यों के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने को तरजीह देते हैं।

सिर्फ बीआईटी का क्रेज

राज्य में कुल 16 इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स हैं। लेकिन, झारखंड कंबाइंड का एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स सिर्फ बीआईटी सिंदरी में एडमिशन लेना पसंद करते हैं। अगर उनका किन्हीं वजहों से इस संस्थान में एडमिशन नहीं होता है तो वे किसी और इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने से इन्कार कर देते हैं। मालूम हो कि बीआईटी में विभिन्न ब्रांचेज में कुल 725 सीटें हैं। पहली-दूसरी काउंसलिंग होते-होते यहां की सारी सीटें भर जाती है, लेकिन बाकी इंजीनियरिंग कॉलेजों को उनकी सीटों की तुलना में 20 परसेंट भी स्टूडेंट्स नहीं मिलते हैं।

5 सरकारी व 11 निजी कॉलेज

झारखंड में ं कुल 16 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इनमें बीआईटी सिंदरी सरकारी कॉलेज है, जबकि चाईबासा, रामगढ़ और दुमका के इंजीनियरिंग कॉलेज पीपीपी मोड पर चलाए जा रहे हैं। इन कॉलेजों का संचालन कोलकाता की टेक्नो इंडिया कंपनी कर रही है। हजारीबाग स्थित विनोबा भावे यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग कॉलेज ज्वाइंट वेंचर पर रन कर रहा है। इसके अलावा रांची के टाटीसिलवे स्थित सीआईटी, आरटीसी इंस्टीट्यट, निलय इंस्टीट्यूट जमशेदपुर में बीए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग मैरीलैंड इंस्टीट्यूट व आरवीएस कॉलेज, पलामू में डीएवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग व रामचंद्र चंद्रवंशी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोडरमा में रामगोविंद इंस्टीट्यूट, बोकारो में गुरु गोविंद सिंह एजुकेशन सोसाइटी टर्मिनल और धनबाद में केके कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग प्राइवेट इंस्टीट्यूट हैं।

क्यों नहीं मिलते स्टूडेंट्स

इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर नहीं

राज्य के ज्यादातर इंजीनियरिंग कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर व फैसिलिटीज की की कमी है। इस मामले में ये दूसरे राज्यों के कॉलेजों से काफी पीछे हैं। इस कारण स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन देने में दिक्कतें आती है, जिस कारण यहां के कॉलेजों में स्टूडेंट्स एडमिशन लेना पसंद नहीं करते हैं।

कैंपस सेलेक्शन प्रॉपर नहीं

यहां निजी इंजीनियरिंग कॉलेज तो खुल गए हैं, लेकिन यहां दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स के कैंपस प्लेसमेंट की कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है। पढ़ाई पूरी करने के बाद स्टूडेंट्स को खुद जॉब सर्च करनी होती है। ऐसे में कैंपस प्लेसमेंट का रिकॉर्ड खराब होना एडमिशन में बाधक बन जाता है।

मानकों के अनुरुप फैकल्टीज नहीं

यहां के ज्यादातर इंजीनियरिंग कॉलेजों में जो फैकल्टीज हैं, वे क्वालिफिकेशन के मामले में मानकों पर खरा नहीं उतरते हैं। इस कारण क्वालिटी एजुकेशन यहां संभव नहीं हो पा रहा है, जिस कारण स्टूडेंट्स इन कॉलेजों में एडमिशन लेने से दूर रहते हैें।

इंजीनियरिंग कॉलेज व सीटें

इंस्टीट्यूट सीटें

बीआईटी सिंदरी 725

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग हजारीबाग 252

गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज दुमका 315

गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज चाइबासा 315

गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज रामगढ़ 315

डीएवी इंस्टीट्यूट, पलामू 252

निलय इंस्टीट्यूट रांची 378

रामचंद्र चंद्रवंशी इंस्टीट्यूट पलामू 441

रामगोविंद इंस्टीट्यूट कोडरमा 504

जीजीएस एजुकेशन सोसाइटी बोकारो 567

आरटीसी कॉलेज रांची 504

बीए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग जमशेदपुर 316

मैरीलैंड इंस्टीट्यूट जमशेदपुर 160

केके कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग धनबाद 441

आरवीएस कॉलेज जमशेदपुर 630

सीआईटी टाटीसिलवे रांची 756

खाली रह गईं थी चार हजार सीटें अगर 2015 व 2016 सेशन की बात करें तो झारखंड के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6870 सीटों में लगभग चार हजार सीटें खाली रह गई थीं। कुछ ऐसे भी इंजीनियरिग कॉलेज थे, जिन्हें एक भी स्टूडेंट नहीं मिला था। सिर्फ बीआईटी सिंदरी की ही सीटें फुल हो पाईं थी, जबकि सरकार द्वारा पीपीपी मोड पर रन कर रहे कॉलेजों में कुल सीटों का 60 परसेंट पर ही स्टूडेंट्स का एडमिशन हो पाया था।

पहली बार इंजीनियरिंग के लिए अलग एग्जाम

झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद की ओर से 2017 में पहली बार इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए अलग से परीक्षा ली गई। सात मई को रांची, धनबाद और जमशेदपुर के विभिन्न केंद्रों पर हुई परीक्षा में लगभग 18 हजार स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। अब रिजल्ट प्रकाशन के बाद काउंसलिंग के माध्यम से विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स को सीटें अलॉट की जाएंगी।