-टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए आरयू के प्रोफेसर ने बनाया है डिजिटल प्लेटफार्म

-आरयू वीसी और प्रोफेसर के के बाद सात स्टूडेंट्स ने भी टीबी पशेंट्स को लिया गोद

1 हजार टीबी रोगी हैं डिस्ट्रिक्ट में

21 अक्टूबर को शुरू किया था डिजीटल प्लेटफार्म

9 टीबी पेशेंट्स को पहले दिन ही लिया गया था गोद

बरेली: आरयू के शिक्षाविद् डॉ। अमित वर्मा के लांच किए गए डिजिटल प्लेटफार्म 'जीरो टीबी एडॉप्ट' से नौ दिन में 65 टीबी पेशेंट्स को गोद लिया जा चुका है। खास बात यह है कि इनमें सात स्टूडेंट्स भी शामिल हैं जिन्होंने खुद से आगे आकर टीबी पेशेंट्स को गोद लिया है। जबकि आरयू वीसी प्रो। अनिल शुक्ल, रजिस्ट्रार डॉ। सुनीता पाण्डेय सहित डीटीओ डॉ। एसके गर्ग पहले ही टीबी पेशेंट्स को गोद ले चुके हैं। वहीं शिक्षाविदों की पहल से दूसरे कॉलेजेज के स्टूडेंट्स भी इस मुहिम में शामिल होना चाहते है। जबकि कुछ ग‌र्ल्स भी हैं जो टीबी पेशेंट्स को अडॉप्ट करना चाहती हैं लेकिन आरयू ने उन्हें पहले पेरेंट्स से परमीशन लेने के लिए कहा है।

कन्वोकेशन बाद शुरू किया काम

ज्ञात हो आरयू कन्वोकेशन के दौरान यूपी की राज्यपाल आंनदीबेन पटेल ने सभी प्रोफेसर से एक टीबी रोगी को गोद ने के लिए आग्रह किया था। इसके बाद राज्यपाल आफिस से वीसी के पास एक पत्र भी आया जिसमें सभी प्रोफेसर को निर्देश दिया गया कि वह एक टीबी रोगी को गोद लें ताकि उनकी भी ठीक से देखभाल हो सके। इसके लिए आरयू वीसी प्रो। अनिल शुक्ल ने भी सभी टीचर्स से टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

सिर्फ करना होता है फॉलोअप

टीबी पेसेंट को गोद लेने वाले व्यक्ति को मरीज की यूनिक आईडी और डिटेल मिलने के बाद सिर्फ फॉलो अप फोन से करना होता है। जरूरत पड़ने पर मरीज को खाने पीने की वस्तुएं मुहैया कराई जा सकती है। मरीज को गोद लेने वाले व्यक्ति को उसके संपर्क में नहीं रहना है.इस तरह मरीज ने दवा ली है या नहीं, मरीज कब से अधिक बीमार है इस तरह के फॉलोअप फोन पर भी पता किए जा सकते हैं। कहीं पर भी प्रॉब्मल होने पर उसकी इन्फार्मेशन सिर्फ डीटोओ या फिर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को देनी होती है। इसके बाद डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की टीम एक्शन लेती है।

समाजसेवी व्यापारी भी शामिल

आरयू टीचर की डिजिटल प्लेटफार्म पहल के बाद से टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए टीचर्स, स्टूडेंट्स अफसर और समाजसेवियों ने भी रूचि दिखाई है। सबसे पहले आरयू के प्रो अनिल शुक्ल, रजिस्ट्रार डॉ। सुनीता पाण्डेय, प्रो। एके जेटली, सहित सात स्टूडेंट्स भी शमिल है। इसमें समाजसेवी के साथ व्यापारी वर्ग भी आगे आया है। जिसमें कई लोगों ने टीबी रोगियों को गोद भी लिया है।

ऐसे आप भी ले सकते हैं गोद

-फेसबुक पर जीरो टीबी एडॉप्ट पेसेंट पेज ओपन करना होगा

-यूनिक आईडी सिलेक्सन कर गोद लेने के लिए रिक्वेस्ट सेंड करनी होगी

-पेज पर पेंशेंट की यूनिक आईडी ही मिलेगी

-रिक्वेस्ट के साथ एक गूगल पर ऑनलाइन फार्म भी फिल करना होगा

-इसके बाद जो भी टीबी पेसेंट गोद लेना चाहता है उसे सिलेक्ट करने पर यूनिक आईडी की डिटेल दी जाएगी।

सात स्टूडेंट्स ने गोद लिए रोगी

-सोमवीर

-कौशल

- योगेश

-प्रत्युश

-रामनरेश

-हाफिज

-प्रशांत शर्मा

-वैसे तो मेरे पास पूरे डिस्ट्रिक्ट के ही टीबी रोगी गोद है, लेकिन डिजिटल प्लेटफार्म से मैंने भी एक पेशेंट को गोद लिया है। इसमें अन्य लोगों ने भी रूचि दिखाई है, आरयू टीचर की अच्छी पहल है। इसमें रोगी का पूरी डिटेल भी सके्रड रखी गई है।

डॉ। एसके गर्ग, डीटीओ

-मैने भी टीवी रोगी को डिजिटल प्लेटफार्म से गोद लिया है। डिजिटल प्लेटफार्म लांच किया गया और अच्छी बात है.आरयू के अन्य टीचर्स भी टीबी रोगियों को गोद ले रहे हैं।

प्रो। अनिल शुक्ल, वीसी आरयू