1- फिक्स रेट नही होते हैं फिक्स
कार्ड इशू करने वाली बैंक आप के एपीआर को कभी भी बड़ा सकती है। यह जानकारी को सीक्रेट नही है पर इसे छुपा कर रखा जाता है। कंपनियां इसे कार्डहोल्डर एग्रीमेंट पर देती हैं। वह चाहती हैं कि आप इसे मिस कर दें। वैसे हम एक फिक्स इंट्रेस्ट रेट के पेपर पर साइन करते हैं पर उसे कंपनी कभी भी बदल सकती है। आप को यह अधिकार है कि 15 दिन पहले आप को रेट इंक्रीज करने की जानकारी दी जाए। ऐसे में आप को अपनी मेल चेक करनी चाहिए।
2- एक लेट पेमेंट के साथ पेनाल्टी फीस ली जाती है। एक टाइम पर जो पेमेंट कर दी जाती हैं उन्हें कोई फीस नही देनी होती है। कभी कभी आप को एक पेमेंट देर से करने पर डबल सरचार्ज देना होता है। यह आप को तब तक पता नही चलता है जब तक यह आप पर लगा नही दिया जाता है। यह लेट फी के रूप में आप को देना होता है। पर्मानेंट इंट्रेस्ट आप के एपीआर को 29.99 प्रतिशत बड़ा देता है। 2009 कार्ड एक्ट की माने तो इस बडोतरी की जानकारी दी जाती है पर ये जानाकरी हर कार्ड होल्डर के पास नही होती है।
3- यहां एक और लीगल पंच आप का इंतजार कर रहा है। अगर आप दो महीने तक लगातार कार्ड की लेट पेमेंट करते हैं तो आप के दो महीनों का इंट्रेस्ट एक महीने पर ही लगाया जाए। आप सितंबर में वन टाइम पेमेंट कर चुके हैं और अक्टूबर में लेट है तो आप का इंट्रेस्ट रेट डबल हो जाएगा। कंपनी आप के बैलेंस को देखती है और आप के पेमेंट करने कें तरीके को अगर कपंनी को लगता है कि पेमेंट लेट रिसीव हो रहा है तो इंट्रेस्ट रेट बड़ जाता है।
4- हम में से कितने लोग टिकट खरीदते होंगे जिन्हे छूट के लिए कंपनी को धन्यवाद कहना चाहिए। अगर आप को 1 हजार डॉलर अपने कार्ड पर देना है तो 250 डॉलर आप को ड्यू डेट से पहले देने होंगे जिससे आप अपने क्रेडिटर्स को रोक सकें। ज्यादातर कार्ड पर 25 दिनों का ग्रेस पीरियड मिलता है जिसमें आप का इंट्रेस्ट भी माफ हो सकता है। कई कंपनियों ने इस ग्रेस पीरियड को घटा कर 20 दिन का ही कर दिया है। जिसका मतलब है कि आप को अपनी हर खरीद पर ब्याज देना होगा वो भी समय से ब्याज और रिपेमेंट के साथ। आप को अपनी कंपनी की ओर से ऑफर ग्रेस पीरियड भी देखना चाहिए।
5- ज्यादातर ग्राहकों के पास नो लिमेट चार्ज कार्ड होता है। ऐसे में अगर आप एक्सट्रा खरीददारी करते हैं तो आप को इंट्रेसट माफ भी हो सकता है। आप की कंपनी ने यह कार्ड नो लिमेट कह कर दिया है पर क्या इसमें पहले से तय कोई लिमेट नही होती है। जो आप के हर महीने के खर्चे को देख कर ली जाती है। नो लिमेट कार्ड लेने से पहले आप अपने प्रोवाइडर से यह पूछ सकते हैं कि क्या यह पहले से ही तय है। सबसे जरूरी बात यह है कि कभी भी कुल राशि से ज्यादा खर्च नही करना चाहिए।
6- कंपनियां क्रेडिट कार्ड पर ज्यादा से ज्यादा इंट्रेस्ट लगा कर अपने कार्ड होल्डर से अधिक से अधिक कर वसूली करना चाहती हैं। पूर्व में कार्ड होल्डर के पास पांच प्रतिशत मंथली पेमेंट होता था। यह एक बड़ी समस्या बन गई क्रेडिटर्स के लिए क्यो कि ज्यादातर लोग अपने बैलेंस को जल्दी से जल्दी पे करने लगे। इसके बाद मंथली मिनिमम को 2 प्रतिशत कर दिया गया। एक्सपर्ट की माने तो कार्ड कंपनियों का यह मूव इंट्रेस्ट में कई हजार डॉलर जोड़ देगा।
7- हम आशा करते हैं कि हमारे क्रेडिटर्स हमारी रिपेमेंटस पर स्लिपआप नही करेंगे। अगर आप अपने कार्ड की पेमेंट समय पर करते हैं तो आप एक्सट्रा इंट्रेस्ट से बचे रहेंगे। एक लेट पेमेंट आप के एपीआर को बड़ा सकती है। आप सोच सकते हैं कि आप का कार लोन और होम लोन 3 से 29 प्रतिशत हो जाए। इसलिए हम आप के लिए क्रेडिट एक्ट लेकर आए हैं। क्रेडिटर्स यूनीवर्सल डिफाल्ट क्लाज लेकर आते हैं जिन्हें वह लोगों के खिलाफ इंस्तेमाल कर सकते हैं।
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