-राजधानी के जेलों में सजायाफ्ता और विचारधीन कैदियों के अलग रखने की व्यवस्था नहीं

PATNA(7 Nov)

: कहते हैं कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। यही हालात राजधानी के केंद्रीय कारा आदर्श जेल बेउर में है। बेउर जेल में सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को अलग-अलग रखने की व्यवस्था नहीं है। जिसका नतीजा ये नतीजा ये है कि सजायाफ्ता कैदियों के संगत में रहकर विचाराधीन कैदी बिगड़ रहे हैं और वो लोग जेल से बाहर आने के बाद अपराध पर अपराध कर रहे हैं। इस कारण उनकी जिंदगी खराब हो रही है और समाज में क्राइम का रेट भी बढ़ रहा है। सजायाफ्ता कैदियों की संगत के कारण साधारण अपराधी भी खूंखार के चंगुल में आकर गुंडे का तमगा लगा लेते हैं।

81.5 फीसदी सजायाफ्ता कैदी

केंद्रीय आदर्श कारा बेउर जेल की स्थिति ये है कि यहां पर अभी कुल चार हजार कैदी बंद हैं। इसमें करीब 750 कैदी सजायाफ्ता हैं। इसके साथ ही बाकी के 3250 कैदी विचाराधीन हैं। 81.5 फीसदी कैदी विचाराधीन हैं। यानी की इन पर भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। ये लोग कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हालात ये है कि जेल में महज 18.5 फीसदी ही कैदी ही सजायफ्ता हैं। ऐसे में इनके संगत में रहकर साधारण अपराधी भी बिगड़ रहे हैं।

जेल से निकल बन गया हिस्ट्रीशीटर

सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की फिल्म कालिया में भी सजायाप्ता और विचाराधीन बंदी की संगत का असर बताया गया है। इसमें साधारण गांव का कल्लू नाम का आदमी झगड़े में जेल जाता है और बाहर आने के बाद वह नामी गुंडा कालिया बन जाता है। यही हाल पटना के बेउर जेल में देखने को मिलता है। कंकड़बाग का गुड्डु चोरी के आरोप में जेल गया था लेकिन जब वो बाहर आया तो लूट और डकैती जैसे गंभीर घटनाओं को अंजाम देने लगा। उसने अपना गिरोह तक बना लिया था।

देखिए इनकी बानगी

केस -1

मोटर चोरी में गया था जेल

शिवपुरी निवासी श्यामलला सिंह को पुलिस ने दो साल पहले मोटर चोरी के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसे कोर्ट ने जेल भेज दिया था। करीब दो महीने बाद जेल से छूटने के बाद जब वो बाहर आया तो हथियार के बल पर लूटपाट करने लगा। अक्टूबर, 2019 में शास्त्री नगर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से पुलिस ने 12 बोर का एक लोडेड कट्टा और दो कारतूस बरामद किया। श्यामलाल जेल से निकलने के बाद फिर उसने लूटपाट शुरू कर दी।

केस -2

बेरहमी से युवती का गला रेता

नालंदा जिले के एकंगरसराय थाना क्षेत्र के घुरा गांव निवासी राहुल छेड़खानी और चोरी के मामले में बेउर जेल गया था। चाचा के श्राद्ध में वो पैरोल पर बाहर आया। इसके बाद वो भाग गया। भागकर वो रांची गया। वहां पर एक कॉलोनी में रहने लगा। वहीं पर उसने अपने साथियों के साथ एक युवती के साथ गैंगरेप किया। इसके बाद उसकी हत्या कर दी। इस मामले में पहले लोकल पुलिस जांच करती रही बाद में सीबीआई को जांच सौंपी गई तो राहुल पकड़ा गया।

केस -3

जेल से मांगी 35 लाख की रंगदारी

भागलपुर निवासी सोनू और सिकंदर को पुलिस ने रंगदारी के मामले में गिरफ्तारी किया था। इसके बाद इन्हें जेल भेज दिया। जेल जाने के बाद ये लोग एक गैंग बना लिया और जेल से रंगदारी मांगने लगे। इन लोगों ने मालसलामी थाना क्षेत्र में चार अक्टूबर, 2018 को कारोबारी राजा बाबू से 35 लाख रुपए की रंगदारी मांगी। जेल में बंद सोनू और सिकंदर ने मोबाइल पर फोनकर रंगदारी मांगी थी। पुलिस की पड़ताल में पता चला था कि इन लोगों ने एक एलआईसी एजेंट से भी पांच लाख रुपए की रंगदारी की मांग किए थे।

बनने के बजाए बिगड़ जाते हैं कैदी

कुख्यात अपराधियों को जेल के विधि-विधान का मूल पाठ पढ़ाने के लिए बेउर में जेल में विशेष व्यवस्था की गई है। जेल में सिर्फ आतंकी हमले के आरोपी को अलग रखा जाता है बाकी के अपराधियों को एक साथ ही रखा जाता है। जेल में बकायदा लाइब्रेरी और वहां पर पढ़ने के लिए न्यूज पेपर और मैगजीन भी दिया जाता है लेकिन इसके बाद भी लाइब्रेरी में गिने चुने कैदी ही बैठते हैं।

सजायाफ्ता कैदी होते हैं मठाधीश

हाल ही में जेल से छूटकर आए एक कैदी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सजायाफ्ता कैदी ज्यादा दिन से जेल में होने के कारण मठाधीश हो जाते हैं। जेल में उनके पास बहुत पावर होता है। जब भी जेल में कोई नया कैदी जाता है तो वो लोग उनसे मिलते हैं और लोग अपने हिसाब से ट्रिट करते हैं। नए कैदी सजायाफ्ता कैदियों से मिलकर इसलिए रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हे सभी मामले की जानकारी होती है।

कैदियों की स्थिति

-2260

कैदियों के रहने की क्षमता है बेउर जेल में।

-4001

कैदी अभी जेल में हैं बंद।

-150

महिला कैदी हैं बंद।

-96

बैरक बने हैं बेउर जेल में।

-04

खंड बनाए गए हैं जेल में।

-32

सीसीटीवी से होती है निगरानी।

-09

सीसीटीवी खराब हैं बेउर जेल में।

वर्जन

बेउर में 4 हजार कैदी बंद हैं। इसमें 750 कैदी सजायाफ्ता हैं। जेल में कैदियों पर हर तरीके से निगरानी रखी जाती है।

-जवाहर लाल प्रभाकर, बेउर जेल अधीक्षक