छरहरी काया पाने के लिए खुद भी जिम्मेदार

आगरा। नारी को शक्ति का रूप माना जाता है, लेकिन वर्तमान में यह रूप शक्तिविहीन होता दिख रहा है। वह एनीमिक की शिकार हैं। रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता समाप्त हो चुकी है। इसके कारण कई हो सकते हैंच् बचपन में बेटी से ज्यादा बेटे को तवज्जो मिलना, छरहरी काया पाने के लिए खानपान से दूरी बनाना आदि। नारी के कंधों पर पुरुष से ज्यादा जिम्मेदारियों का बोझ होता है। वह परिवार को संभालने के साथ ही बाहर की जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करती है। ऐसे में वह खुद ही कमजोर होगी तो परिवार और समाज को कैसे शक्ति दे पाएगी।

85 फीसदी महिलाएं शिकार

लेडी लायल हॉस्पिटल में आने वाली महिलाओं में 85 फीसदी एनीमिक की शिकार हैं। यहां रोज 1100-1200 महिला मरीज पहुंचती हैं। सभी का हीमोग्लोबिन चेक किया जाता है।

बेटे के लिए छह बार गर्भपात

एक प्राइवेट हॉस्पिटल में गर्भवती महिला को छह बार गर्भपात के बाद जब सातवीं डिलीवरी के लिए लाया गया, तो उसमें सिर्फ तीन ग्राम खून था। महिला के रिश्तेदारों ने डॉक्टर से ऑपरेशन का खर्चा पूछा। डॉक्टर ने ऑपरेशन का खर्चा बताया और खून देने के लिए भी कहा। इस पर महिला के रिश्तेदारों का कहना था कि 'अरे इत्ते में तो लल्लू की दूसरी शादी हो जावेगी'। लगातार गर्भपात का कारण महिला के कोख में बेटी होना बताया गया।

एक बार में चार काम

नारी एक वक्त में चार काम करने की क्षमता रखती है। उदाहरण के तौर किचेन में काम कर रही है तो बच्च्च्च्ें पर भी ध्यान रखती है। इस बीच फोन आता है तो उसे भी अटेंड करती है। डोर बेल बजती है, तो दरवाजा खोलने भी जाती है।

महिला मृत्यु का आंकड़ा

डॉ। शिवानी चतुर्वेदी के अनुसार पूर्वी एशिया में प्रतिवर्ष पांच लाख महिलाओं की मृत्यु एनीमिक के चपेट में आने से होती है। इसमें प्रति वर्ष एक लाख महिलाओं में से 400 की बच्च्च्च्ें को जन्म देने के दौरान मौत होती है।

डॉ। शिवानी चतुर्वेदी ने बताया कि महिलाएं अपने पोषण को अपनी उंगली पर नहीं गिनती हैं। उनकी गिनती में सबसे पहले घर कच् बच्चे च्फर घर के पुरुष उसके बाद बुजुर्ग, उसके बाद जाकर कहीं बचा तो अपने लिए। उन्होंने खुद को कभी इंपोर्टेस नहीं दी। यही कारण है कि हमारे यहां पर महिला मृत्यु दर सबसे ज्यादा है।

डॉ। अलका सेन ने बताया कि महिलाएं अपनी परवाह नहीं करती हैं, अपने खान पान के प्रति लापरवाह के साथ उन्हें उचित अनुचित का भी ज्ञान नहीं होता है कि वह क्या खाएं। जिससे अपनी सेहत अच्छी च्खी जा सके। इसके अलावा मिडिल क्लास फैमली में तो सबसे ज्यादा हालत खराब होती है महिलाओं की। इसके अलावा वह अपनी प्रॉब्लम किसी को बताती नहीं हैं। खुद झेलती रहती हैं, जब तक पानी सिर से ऊपर न हो जाए।