-बिजली विभाग के मुख्यालय को ठंडा कर रहे 90 एसी

-रोजाना दस हजार रुपए की बिजली फूंक रहा पश्चिमांचल दफ्तर

Meerut: एक ओर जहां बिजली संकट के चलते शहरवासी गर्मी से बिलबिलाए हुए हैं। वहीं बिजली विभाग का मुख्यालय उर्जा भवन अकेले ही एक गांव के बराबर बिजली फूंक रहा है। विभाग की विलासिता का आलम यह है कि जब शहर बिजली की कटौती की मार झेल रहा होता है, तब विभाग के ये अफसर अपने एयरकंडीशन केबिन में चाय की चुस्कियां ले रहे होते हैं।

एसी से सजा है ऊर्जा भवन

विश्वविद्यालय रोड स्थित पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम का मुख्यालय है। विभाग में इस भवन को ऊर्जा भवन के नाम से जाना जाता है। इस पश्चिमांचल के इस भवन में विभाग के प्रबंध निदेशक से लेकर चौदह जिलों से बने मुख्यालय के बड़े-बड़े अफसर बैठते हैं। ऊर्जा के इस भवन में बैठने वालों को गर्मी का आभास भी न हो जाए इसके लिए यहां एक नहीं बल्कि पूरे 90 एसी की व्यवस्था की गई है।

ऊर्जा भवन बोले तो एक गांव

दरअसल, कैलकुलेशन के हिसाब से ऊर्जा का यह अकेला भवन नब्बे भवन यानी एक गांव के बराबर बिजली फूंक रहा है। इसका मतलब ऊर्जा भवन में जलने वाले वाली बिजली से एक गांव गुलजार किया जा सकता है।

ये है कैलकुलेशन

एक डेढ़ टन वाला एसी ख्ख् वॉट बिजली खर्च करता है, जबकि ख्ख् वॉट का लोड दो किलोवाट के बराबर होता है। एक घरेलू कनेक्शन भी दो किलोवाट लोड के लिए डिजाइन किया जाता है। इस तरह से डेढ टन वाले एक एसी का लोड दो किलोवाट के घरेलू कनेक्शन के बराबर होता है। इस तरह से एक ऊर्जा भवन नब्बे भवनों को बिजली से गुलजार कर सकता है।

रोजाना दस हजार की बिजली स्वाहा

ऊर्जा भवन लगे एसी कितनी बिजली रोजाना फूंक देते हैं। इस आंकड़े पर गौर करें तो परिणाम और भी अधिक चौंकाने वाले सामने आते हैं। ऊर्जा भवन जिले में अकेला ऐसा विभाग है, जो रोजाना साढ़े दस हजार रुपए की बिजली खर्च करता है। ऐसा तो तब है जब विभाग शहरवासियों को डिमांड और सप्लाई में भारी फर्क दिखाकर एनर्जी सेविंग पर जोर देने की अपील करता है। डेढ़ टन का एक एसी एक घंटे में ढाई यूनिट यानी दस रुपए की बिजली खर्च करता है। यानी एक एसी बारह घंटे में क्ख्0 रुपए की बिजली खर्च करता है। इस हिसाब से नब्बे एसी दिन भर में क्0800 रुपए की बिजली जला डालते हैं।

अन्य सरकारी विभाग

कैंटोमेंट - क्0 एसी

विश्वविद्यालय - क्भ् एसी

कलक्ट्रेट - ख्भ्

एमडीए - ख्0

नगर निगम - 8

जिला अस्पताल - फ्

रोडवेज - ख्

स्वास्थ विभाग - फ्

क्या कहते हैं लोग

बिजली विभाग के अफसर खुद तो एयर कंडीशन वाले केबिन में बैठते हैं, लेकिन शहरवासियों को उनको कोई खबर नहीं है। इन अफसरों के दफ्तरों की बत्ती गुल कर देनी चाहिए, तभी इनकों हमारी समस्याओं का पता चलेगा।

जसविंदर सिंह नागपाल

अफसरों को हमारी कोई सुध नहीं है। बिजली कटौती की शिकायत पर तमाम तरह के बहाने बनाते हैं, लेकिन खुद के लिए बिजली चौबीस घंटे उपलब्ध रहती है।

प्रियंका, सोफीपुर

सारे नियम कायदे केवल गरीबों के लिए हैं। नेताओं और अफसरों के लिए कोई नियम कायदा नहीं है। दो हजार का बिल भी बकाया होने पर बिजली विभाग के कर्मचारी कनेक्शन काट देते हैं और खुद मुफ्त की बिजली उड़ाते हैं।

जुगल किशोर, गंगानगर

बत्ती गुल होने पर हमें बिजली की कमी बताई जाती है, लेकिन बिजली विभाग के दफ्तरों में हमेशा बिजली मौजूद रहती है। जब गरीब के घर में अंधेरा रहता है, तब अफसरों के बंगले चकाचौंध रहते हैं।

दिनेश शर्मा, गंगानगर

गर्मियां आते-आते बिजली की दिक्कत बढ़ती जा रही है। आने वाले दिनों में इनवर्टर भी बंद हो जाएंगे। ये ही चिंता खाए जा रही है कि इतनी गर्मी में बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी।

चिन्मय, वेस्टर्न कचहरी रोड