RANCHI : राजधानी के करीब 95 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में हेड मास्टर ही नहीं हैं। बिना प्राचार्यो के स्कूल कैसे चले, नियंत्रण की जिम्मेदारी किसपर हो, विकास की योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे हो यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जिले में स्थित 294 सरकारी मीडिल-हाई स्कूलों में से 280 में हेडमास्टर का पद रिक्त है। इन स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता, बच्चों का भविष्य और शिक्षकों का करियर सबकुछ दावं पर लगा हुआ है। विगत एक दशक से भी ज्यादा समय से ये स्कूल इस समस्या से जूझ रहे हैं।

योजनाओं के क्रियान्वयन पर असर

हेडमास्टर के नहीं रहने के कारण स्कूलों में सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर नहीं उतारा जा रहा, जिसका खामियाजा सीधे छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। हेडमास्टर के नहीं होने के कारण जहां विद्यार्थियों को खुली छूट है वहीं शिक्षकों में भी लापरवाही साफ देखी जा सकती है। कई स्कूलों में तो शिक्षक बस हाजिरी बनाने के लिए आते हैं और हाजिरी बनाकर निकल लेते हैं।

मर्जर के बाद स्थिति विकराल

स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया करीब-करीब पूरी हो गई है। अब शिक्षकों का मर्जर चल रहा है और एक स्कूल में विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों की भी संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो गई है। अब शिक्षा विभाग को समझ ही नहीं आ रहा है कि मर्जर के बाद बचे स्कूलों में अचानक छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की बढ़ी संख्या को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी किस पर दी जाए।

कई होनेवाले हैं रिटायर

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसपर चिंता जताते हुए कहा है कि जल्द ही सभी स्कूल हेडमास्टर विहीन हो जाएंगे। इस संबंध में संघ द्वारा शिक्षा सचिव को पत्र भेजा गया है जिसमें यह साफ कहा गया है कि कार्यरत प्रधानाध्यापकों में से भी निकट माह में कई लोग रिटायर होने वाले हैं ऐसे में स्कूलों में हेडमास्टर ही नहीं रहेंगे।

3000 स्कूल बिना हेडमास्टर

राज्य के करीब 3000 विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों का टोटा है। मात्र सात प्रतिशत विद्यालयों में ही प्रधानाध्यापक पदस्थापित हैं। विभिन्न जिलों में 3226 स्वीकृत पदों के विरुद्ध मात्र 226 प्रधानाध्यापक ही पदस्थापित हैं। यह आंकड़ा शिक्षा के प्रति राज्य में बरती जा रही घोर लापरवाही को दर्शाता है।

10 वर्षो से लटकी है प्रोन्नति

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि विगत 10 वर्षो से प्रोन्नति का मामला लटका हुआ है जिसके कारण स्कूलों में हेडमास्टरों के पद रिक्त पड़े हैं। कई शिक्षक ऐसे हैं जो तमाम मापदंडों पर खरे उतरते हैं लेकिन प्रोन्नति मामला लटकने के कारण वे लोग धीरे-धीरे रिटायर होते जा रहे हैं।