एसटीएफ ने छह महीने में आठ रैकेट का भंडाफोड़, 51 गिरफ्तार

पुलिस को अरविंद राणा, आदेश गुर्जर व रूप सिंह वर्मा की तलाश

 

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MEERUT :
मेरठ से वेस्ट यूपी तक सरकारी नौकरी लगवाने वाले रैकेट धड़ल्ले से चल रहे हैं। इनमें अधिकतर सदस्य टीचर, इंजीनियर, सरकारी क्लर्क, आर्मी व पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी व जवान शामिल हैं, जो लोगों से मोटी रकम लेकर सरकारी नौकरी लगवाने का लालच देकर उनसे मोटी रकम वसूल रहे हैं। एसटीएफ ने छह महीने में आठ रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 51 लोगों को गिरफ्तार किया है।

 

भर्ती का ठेका

इनके रैकेट में शामिल आर्मी की भर्ती से लेकर, रेलवे, एसएससी, बैंक, पुलिस दरोगा, कांस्टेबल, टीचर, टीईटी आदि प्रतियोगी परीक्षाओं में पास करवाने का यह चार से पंद्रह लाख रुपये तक में ठेका लेते है। इनका रैकेट मेरठ से लेकर बागपत, गाजियाबाद, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, हापुड़ आदि जिलों में फैला हुआ है। ये युवक-युवतियों को नौकरी लगवाने का झांसा देकर उनसे मोटी रकम वसूलते है।


100 प्रतिशत लेते है गारंटी

एसटीएफ ने बताया कि गैंग के सदस्य सरकारी नौकरी लगवाने की 100 प्रतिशत तक गारंटी लेते हैं। इसके बाद उनसे रकम ऐंठी जाती है। नौकरी न लगने पर रकम वापस नहीं की जाती है। इनके सदस्यों की आयोग व परीक्षा सेंटरों तक इतनी सेटिंग रहती है कि यह कई परीक्षाओं के पेपर तक आउट करवा चुके हैं। कई बार पुलिस की जांच में भी खुलासा हो चुका है।

 

रिटायर्ड बन रहे लीडर

एसटीएफ के सीओ ब्रिजेश कुमार का कहना है कि पिछले छह महीने में जितने भी सोल्वर व नौकरी लगाने वाले गैंग पकड़े हैं, उनका सरगना सरकारी नौकरी में होता है या सरकारी नौकरी से रिटायर्ड होता है। वही लोगों को विश्वास में लेकर अपना जाल बुनता है। उनसे नौकरी के नाम पर लाखों रुपये वसूलता है।

 

यह हैं सरगना

बागपत का आदेश गुर्जर, शामली का अरविंद राणा व गाजियाबाद का रूप सिंह वर्मा तीनों अलग अलग जिलों के रहने वाले है। एसटीएफ व स्थानीय पुलिस कई सालों से इन्हें तलाश रही है। तीनों सरकारी नौकरी की प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराने के माहिर माने जाते हैं। इनके खिलाफ जिले के कई थानों में मुकदमें भी दर्ज है। इनकी बागपत, मेरठ, सहारनपुर में अच्छी पकड़ भी है। यह अब तक हजारों लोगों को अपना शिकार बना चुके है। इनके गैंग में करीब 800 सदस्य हैं, जो स्टूडेंट्स को फंसाकर उनके पास लाते हैं। पुलिस उन्हें अभी तक पकड़ नहींकी है।

 

जितने भी सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में सेंधमारी करने वाले साल्वर गैंग दबोचे गए हैं, सभी का लिंक एक-दूसरे से मिला है। इन्होंने वेस्ट यूपी में अपना जाल बिछा रखा है। इनके गिरोह में सरकारी टीचर, इंजीनियर, पुलिस कर्मी व रिटायर सेना के जवान भी शामिल हैं।

ब्रिजेश कुमार सीआएसटीएफ

 

एसटीएफ ने पकड़े है गैंग

25 नवंबर 2018

एसटीएफ ने सेना में भर्ती के नाम पर नौकरी लगवाने वाले रिटायर्ड लांस नायक बहादुर सिंह, आशीष कुमार व विक्टर राघव को दबोचा।

 

12 अक्टूबर 2018

एसटीएफ ने रेलवे ग्रुप डी की आन लाइन परीक्षा में सेंधमारी करने वाले सॉल्वर गैंग का भंडाफोड़ करते हुए सोल्वर अभय और सुंदर चौधरी समेत छह आरोपियों को गिरफ्तार किया।

 

3 सितंबर 2018

एसटीएफ ने नलकूप चालक परीक्षा का पेपर लीक करने के आरोप में अमरोहा में सरकारी टीचर सचिन चौधरी समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया था। उनके पास से 15 लाख व आंसर शीट भी बरामदुई थी।

 

19 जुलाई 2018

पुलिस ने फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाकर बेचने वाले कांग्रेसी नेता समेत अंतर्राज्यीय गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि इनका सरगना रूप सिंह वर्मा पुलिस की गिरफ्त से भाग निकला।


27 जून 2018

पुलिस लाइन में चल रही दरोगा भर्ती में एक अभ्यर्थी हाइट बढ़ाने के लिए बालों में मेहंदी का डबल लेयर सेट करके आया। पकड़े जाने पर बताया कि उसने अरविंद राणा गैंग को लिखित परीक्षा पास करने के 16 लाख रुपये दिए थे।

 

19 जून 2018

पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा में सोल्वर बनते हुए सहारनपुर पुलिस ने मेरठ एसटीएफ में तैनात स्टेनो बिजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया था।

 

19 जून 2018

एसटीएफ ने मेरठ में 23 सोल्वर को गिरफ्तार किया था। वह वेस्ट यूपी में होने वाली पुलिस कांस्टेबल की लिखित परीक्षा में सोल्वर बनकर पेपर देने जाहे थे।

 

28 जून 2018

पुलिस लाइन में चल रही दरोगा भर्ती के लिए नापतौल के दौरान चार मुन्नाभाई को पुलिस ने दबोच लिया था। चारों अभ्यर्थियों के बायोमेट्रिक व फोटो मैच नहीं कर रहे थे। सभी दरोगा की लिखित परीक्षा पास कराने के नाम पर गैंग को 16 लाख रुपये देकर आए थे।