रेप के 24 नए मामले दर्ज

हाल ही में सिटी में महिलाओं के प्रति क्राइम के कई हाई प्रोफाइल मामले भी उजागर हुए हैं. पुलिस डिपार्टमेंट से मिले आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल सिटी में 24 लड़कियां रेप का शिकार हुई, जबकि 33 महिलाओं ने छेड़खानी के खिलाफ पुलिस में कंप्लेंट दर्ज करवाई है, हालांकि यह संख्या केवल उन पीडि़ताओं की है जिन्होंने अपराध के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत जुटाई है. इसके विपरीत पुरुषों की दरिंदगी का शिकार हुई कई ऐसी लड़कियां भी हैं जो शर्म के कारण घुट-घुटकर जीने को मजबूर हैं.

दामिनी के साथ हुए गैंगरेप ने पूरे देश को आंदोलित कर दिया था. लगा था कि अब महिलाओं के प्रति क्राइम में कमी आएगी, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ, लेकिन अपराध कम नहीं हुए हैं. उत्पीडऩ का शिकार हुई महिलाओं के प्रति पुलिस को अपना नजरिया बदलने की भी जरूरत है. ताकि पीडि़ताएं खुलकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकें.

-रामिंद्री मंद्रवाल, पूर्व प्रोटेक्शन ऑफिसर

महिलाओं को अपने खिलाफ हो रहे अपराधों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. क्योंकि यदि उनका शारीरिक शोषण हुआ है तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. महिला व सामाजिक संगठनों को भी पीडि़त महिलाओं की हेल्प के लिए आगे आना चाहिए.

-अर्चना डिमरी, मेंबर, धाद महिला संगठन

सिटी के सिर्फ कुछ ही एरिया ऐसे हैं जहां पर रात में पेट्रोलिंग होती है. रेप करने वालों के लिए कानून में सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए. तब जाकर ही इसे रोका जा सकता है.

-भावना घई, राजपुर रोड

पिछले तीन सालों के दौरान दर्ज मामले

वर्ष      रेप      छेड़खानी   

2013    24      33     (14 दिसंबर तक)

2012    26      21

2011    24      15

Security के नहीं हैं पुख्ता इंतजाम

दामिनी हमारी सीनियर थी. उनके साथ हुए इस हादसे को एक साल बीत गया है, लेकिन सरकार और पुलिस की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. दून में भी लड़कियां सेफ नहीं हैं.

-तान्या सिंह, स्टूडेंट

पिछले साल 16 दिसंबर के हादसे ने सभी का दिल दहला दिया था. इस हादसे के बाद जिस तरह से पूरे देश ने महिलाओं की सेफ्टी को लेकर अपनी आवाज बुलंद की तो लगा था कि अब हमें सुरक्षित माहौल मिल सकेगा. अफसोस ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.  

-स्तुति चतुर्वेदी, स्टूडेंट

दून में भी गल्र्स सेफ महसूस नहीं करती हैं. यहां भी आए दिन लड़कियां पुरुषों की हैवानियत का शिकार हो रही हैं. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस को और अलर्ट होने की जरूरत है.

-जया नेगी, स्टूडेंट

सिटी की पुलिस एक्टिव नहीं है. जब तक क्राइम हो नहीं जाता है तब तक पुलिस कोई एक्शन नहीं लेती है. दून की सड़कों में भी गल्र्स महफूज नहीं हैं.

-डेजी शर्मा, स्टूडेंट