- कुशीनगर जाने में दूर हुई जाम की प्रॉब्लम

- हाइवे पर जाम देखकर करने लगा 'पुलिस' की नौकरी

GORAKHPUR: गोरखपुर- कुशीनगर हाइवे पर स्थित कुसम्ही बाजार में लगने वाले जाम का काम तमाम हो गया है। यहां बाजार में पिछले दो महीनों से जाम नहीं लग रहा है। कुसम्ही बाजार के लोगों को भी राहत मिली है। ऐसा नहीं है कि इस रास्ते पर आवागमन बंद हो गया है, बल्कि इस रूट पर ट्रैफिक की प्रॉब्लम से अकेले एक व्यक्ति जूझ रहा है। रोजाना पुलिसवालों की तरह सुबह से लेकर शाम तक ड्यूटी करने वाले उत्साही सुभाष के काम से पास पड़ोस के लोग काफी खुश हैं।

रोजाना कुशीनगर जाते हैं कम से कम क्0 हजार टूरिस्ट

गोरखपुर से करीब ब्0 किलोमीटर दूर कुशीनगर जिले का कसया है। महात्मा बुद्ध की परनिर्वाण स्थली होने की वजह से इसका ऐतिहासिक महत्व है। फॉरेन टूरिस्ट के साथ ही लोकल टूरिस्ट का यहां पर तांता लगा रहता है, लेकिन शहर से कुशीनगर की तरफ कुसम्ही जंगल के बाद कुसम्ही बाजार है। यहां सड़क के दोनों तरफ दुकानें और मकान होने से जगह संकरी लगती है। बीच कसबे से पिपराइच कर रास्ता मुड़ने से जाम लग जाता है। ट्रकों के आने जाने के दौरान जाम इस कदर बढ़ जाता है कि करीब दो किलोमीटर तक लोगों को हलकान होना पड़ता है।

गड्ढों ने बढ़ाई मुसीबत, सुभाष ने दिलाई राहत

कुसम्ही बाजार में आमतौर पर जाम तो लगता ही है, लेकिन सड़क की मरम्मत में लापरवाही पब्लिक की परेशानी को दोगुना बढ़ा दिया है। जाम के साथ एक्सीडेंट्स की समस्या आम हो गई। ऐसे में बहन के घर जा रहे सुभाष से राहगीरों की समस्या देखी नहीं गई। वह सड़क पर ट्रैफिक कंट्रोल करने लगा। थोड़ी देर में जाम से राहत मिल गई, लेकिन जब दोबारा पहुंचा तो वही हाल देखा। तब खाली समय होने पर वह ट्रैफिक कंट्रोल करने लगा। चौराहे के लोगों को अच्छा लगा तो लोगों ने उसको रोजाना आने को कह दिया।

मजाक में पहना दी वर्दी, कर रहा पुलिस का काम

ट्रैफिक कंट्रोल करके कसबे के लोगों और राहगीरों को राहत दिलाने वाले सुभाष ने कुछ ही दिनों में लोगों मन जीत लिया। कसबे के कुछ युवक उसका मजाक उड़ाने लगे, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारा। अपनी धुन का पक्का सुभाष रोज सुबह आठ बजे चौराहे पर पहुंचकर शाम तक ट्रैफिक दुरुस्त करने में जुट गया। उसकी लगन को देखकर मजाक में कुछ लोगों ने किसी आरपीएफ जवान की पुरानी वर्दी उसे पहना दी। वह बाजार से व्हीसिल भी खरीद लाया। वर्दी पहनने से उसकी अलग पहचान हो गई। इसका फायदा उसे मिला कि व्हीकल ड्राइवर्स दूर से इशारा समझकर गाड़ी किनारे कर लेते हैं। इसके बदले में उसको चौराहे के शॉपकीपर्स उसको एक से दो रुपए दे देते हैं।

कौन है सुभाष, कहां से पहुंचा कुसम्ही बाजार

चौराहे पर ट्रैफिक कंट्रोल करने में लगे व्यक्ति की वर्दी को देखकर संदेह हुआ। चौराहे के लोगों से बात की गई तो यह सामने आया कि पब्लिक का मददगार है। लोग उसको पुलिस से भला समझते हैं कि क्योंकि दिन भर वह अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से करता है। बातचीत के दौरान उसकी पहचान झंगहा एरिया के राजी जगदीशपुर निवासी सुभाष जायसवाल के रूप में हुई। उसके बहन की ससुराल बिजरहा गांव में है। सुभाष पहले मुंबई में रहकर कमाता था, लेकिन व्यक्तिगत परेशानियों से वह गांव आ गया। परिवार में विवाद होने के बाद वह बहन के घर चला गया। इसी दौरान वह जाम में फंसा तो तभी से वह पब्लिक की सेवा में लग गया। बातचीत के दौरान उसने बताया कि लोगों से मिलने वाली मदद से उसका खर्च चल जाता है। नकली ही सही एक सच्चे पुलिस वाले का फर्ज निभाकर खुश हो लेता है।

पिटाई होने पर चला गया, लोगों ने बुलाया वापस

सुभाष न तो असली पुलिसवाला है। न ही उसका रौब पुलिसवालों जैसा है। कुछ दिन पूर्व ट्रैफिक सुधारने के दौरान बाइक सवारों ने उसको पीट दिया। उसके जाते ही चौराहे पर जाम लगने लगा। तब कुसम्ही बाजार के लोग उसको खोजकर ले आए। इसके बाद वह मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी पर लग गया।

कुसम्ही में जाम की वजह से बहुत प्रॉब्लम थी। सुभाष दिन भर चौराहे पर दौड़कर ट्रैफिक रेगुलेट करता है। इससे लोगों को जाम से निजात मिली है।

सत्यम, स्टूडेंट

जाम की वजह से दुकानदारी चौपट हो रही थी, लेकिन जब से सुभाष आए तब से हालत सुधरी है। जो काम पुलिस न कर सकी। वह काम सुभाष ने कर दिया। इससे राहगीरों के साथ ही स्थानीय लोगों को राहत मिली है।

शैलेष, शॉपकीपर