ऐतिहासिक दक्षिणी दिल्ली के बदरपुर गांव को मीठापुर से जोड़ने वाले पुल को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने का मामला बदरपुर से आप विधायक एनडी शर्मा ने बजट सत्र में उठाया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने लोकनिर्माण विभाग से 30 दिन के भीतर इस पुल को ऐतिहासिक विरासत के रूप में सहेजने और नए पुल के निर्माण की कार्ययोजना पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।

अब जजर्र हो चुके इस ब्रिटिशकालीन पुल से आज भी औसतन चार लाख लोगों को आगरा नहर पार करते हैं। मगर लगभग सवा सौ साल पुराना यह पुल अब काफी कमजोर हो चुका है और बहुत सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। इसके बावजूद इसके संरक्षण का मामला दो राज्यों की अफसरशाही में फंसा हुआ है और ऐसे में इसका कोई पुरसाहाल नहीं दिख रहा। अपनी उम्र 25 साल पहले ही पूरी कर चुका ये पुल अब सार संभाल चाहता है और इसी को मद्देनजर रख कर दिल्ली विधानसभा ने इसे विरासत के रूप में सहेजने और किसी हादसे के खतरे से बचाने की पहल शुरू की है। विधानसभा अध्यक्ष के हवाले से पता चला है कि बदरपुर विधायक शर्मा ने विधानसभा नियमावली के नियम 280 के तहत यह मामला उठाया था। जिसमें किसी की जवाबदेही अनिवार्य नहीं होती लिहाजा गोयल ने सबद्ध मंत्रलय को 30 दिन के भीतर सदन को अपने जवाब से अवगत कराने के आदेश दिए हैं।

असल में पुल दो राज्यों की खींचातान में फंसा है। जिस नहर पर ये पुल बना है उसके ऊपर उप्र सरकार का हक है इसी कारण पुल का निर्माण भी उप्र सरकार करने का दावा करती है पर अब तक ऐसा हो नहीं पाया है। बहरहाल अभी इसके मार्ग में काफी कठिनाइयां हैं। सबसे पहले तो नियमानुसार सरकार को पुल का इस्तेमाल बंद करने का आदेश जारी करना होगा। इसके बाद पुरातत्व विभाग पुल को धरोहर स्थल के रूप में अधिसूचित कर इसका संरक्षण कर सकेगा। क्योंहकि पुरातत्व कानून के मुताबिक सौ साल पुरानी इमारत या किसी भी ऐतिहासिक वस्तु को धरोहर का दर्जा मिलने के बाद वह एएसआई के संरक्षण में आ जाती है। और क्योंकि पुल का अभी इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए पुरातत्व विभाग इसे अपने संरक्षण में नहीं ले सकता है।

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