GORAKHPUR डीडीयूजीयू राष्ट्रीय सेवा योजना के सहयोग में 'कौमी एकता सप्ताह' के अंतर्गत 'सामाजिक समरसता' विषयक परिचर्चा आयोजित की गई। अध्यक्षता करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ। केशव सिंह ने कहा कि सामाजिक समरसता को समझना हम सभी के लिए जरूरी है। समरसता का अर्थ है सभी को अपने समान समझना। जातिगत भेदभाव एवं अस्पृश्यता का अंत कर लोगों में परस्पर प्रेम एवं सौहार्द बढ़ाना तथा समाज के सभी वर्गो एवं वर्णो के मध्य एकता स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि समाज में भेदभाव मिटाने के लिए, हमें सामाजिक रूप से आगे आकर लोगों को जागरूक करना होगा। सामाजिक विकास के लिए हमारे संविधान ने सभी को एक समान माना है जिससे सबको बराबर अधिकार प्राप्त हो सके। कार्यक्रम अधिकारी डॉ। मीतू सिंह ने सामाजिक समरसता विषय पर कहा कि सामाजिक समरसता के महत्व को समझकर समाज में जाति एवं वर्ग के आधार पर अंतर करने वाली प्रथाओं व मान्यताओं को मिटाना है। सामाजिक समरसता से समाज में एकजुटता आती है, जिससे देश के विकास को गति मिलती है।

सभी को रहना चाहिए एकजुट

कार्यक्रम में स्वयंसेवक कमलेश यादव ने कहा कि सभी को शिक्षा की अलख जगानी चाहिए जिससे पढे-लिखे लोगों द्वारा सामाजिक समरसता के लिए सभी को जागरूक किया जा सके। स्वयंसेविका नन्दिता चौरसिया ने कहा कि सभी को एकजुट रहना चाहिए, इसी से समाज का विकास होगा। स्वयंसेविका रोशनी के कहा हिन्दू, मुसलिम, सिख, ईसाई आपस में भाई है। हम सभी को मिल-जुलकर सामाजिक समरसतापूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए। इस मौके पर उत्कर्ष त्रिपाठी, रुचि मौर्या, नवनीत सिंह, सूरज कुमार गुप्ता, आकाश कुमार यादव, आराधना गौड़, सीमा वर्मा, शशिकांत यादव आदि लोग मौजूद रहे।