GORAKHPUR: सब्जी की फसल में रसायनिक उर्वरकों व कीटनाशक का अत्यधिक प्रयोग हानिकारक है। रसायनिक उर्वरक के प्रयोग से जहां मिट्टी की उर्वरता में कमी आ रही है। वहीं फसलों में कीटनाशक के प्रयोग से लोग बीमारी के चपेट में आ रहे हैं। यह बातें शनिवार को अखिल भाग्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय रानापार में पूर्वी उत्तर प्रदेश के संदर्भ में भूमि संसाधन उपयोग एवं संघृत कृषि विकास सब्जेक्ट पर ऑर्गनाइज्ड दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर बतौर चीफ गेस्ट व भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिक व भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के पूर्व निदेशक डॉ। मथुरा राय ने कही। इस दौरान उन्होंने भारत में वनस्पतियों एवं फसलों की जैव विविधता का उल्लेख करते हुए कहा कि जैविक खाद का उपयोग कर किसान अपना उत्पादन-बढ़ा सकते हैं। प्रोग्राम के चीफ गेस्ट व राजर्षि टंडन मुक्त यूनिवर्सिटी प्रयागराज के कुलपति प्रो। केएन सिंह ने देश में भूमि उपयोग नियोजन की आवश्यकता पर बल दिया तथा बढ़ती जनसंख्या के दबाव का उल्लेख करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश में कृषि के वर्तमान परिस्थितियों का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। प्रोग्राम की अध्यक्षता करते हुए डीडीयूजीयू के पूर्व प्रति कुलपति प्रो। एसके दीक्षित ने पूर्वी उत्तर प्रदेश का विभिन्न भौगोलिक आधारों पर विभाजन करते हुए प्रत्येक क्षेत्र के लिए वृहद स्तर पर भूमि के सर्वेक्षण और तद्नुरूप कृषक समाज में जागरूकता पर बल दिया। प्रोग्राम के प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए मणिपुर केंद्रीय यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो। आरपी सिंह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में सिंचाई के साधनों के नियोजन पर प्रकाश डाला। विशिष्ट व्याख्यान देते हुए ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी दरभंगा के भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो। नंदेश्वर शर्मा ने मृदा अपरदन तथा क्षारीयता की वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुए भारतीय संधृत कृषि के विकास एवं नियोजन पर बल दिया।