सरकार के पास नहीं होना चाहिए लोकपाल की नियुक्ति का अधिकार
आम आदमी पार्टी के पूर्व सदस्य और स्वराज अभियान के नेता वकील प्रशांत भूषण ने आप सरकार के जनलोकपाल बिल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का यह जनलोकपाल उस ड्राफ्ट से बिलकुल अलग है जो अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान तैयार किया गया था क्योंकि स्वतंत्र लोकपाल की नियुक्ति और हटाने का अधिकार अब राज्य सरकार के पास रहेगा। उनका मानन है ये सही नहीं है। प्रशांत भूषण ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए कमेटी में मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर, विपक्ष के नेता और दिल्ली के चीफ जस्टिस होंगे। इसका मतलब चार में से तीन राजनैतिक दल से हैं और दो सरकार का हिस्सा हैं। वहीं लोकपाल को हटाने का हक सरकार को रहेगा जो की दो-तिहाई बहुमत के आधार पर तय होगा। जबकि हमने जो ड्राफ्ट बनाया था उसमें किसी भी तरह के राजनैतिक हस्तक्षेप की बात नहीं थी।


बिल के समर्थन में आये विश्वास और आशुतोष
प्रशांत भूषण के इस हमले के बाद आम आदमी पार्टी के नेता और अरविंद केजरीवाल के नजदीकी कुमार विश्वास और आशुतोष बिल और केजरीवाल के समर्थन में सामने आ गए हैं। दोनों ने अपने ट्वीट कर पार्टी का समर्थन किया है। कुमार विश्वास ने ट्वीट में लिखा है, हम उस जनलोकपाल के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसका ड्राफ्ट रामलीला मैदान पर तैयार किया गया था। इसमें एक कॉमा या फुल स्टॉप भी नहीं बदला गया है! यदि इसमें बेहतरी की थोड़ी सी भी गुंजाइश है तो इस पर सदन में चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा चर्चा की जाएगी।


वहीं आशुतोष ने अपने ट्वीट में कहा है कि आखिर केजरीवाल की आलोचना करने के लिए इतनी जल्दी क्यों दिखाई जा रही है और कभी कभी भाजपा की भी आलोचना कर लिया करें प्रशांत।


स्वतंत्र लोकपाल के विचार को धव्स्त करने का आरोप
आपको बता दें की इसके पहले प्रशांत भूषण ने बिल को लेकर कहा था कि यह बिल स्वतंत्र लोकपाल के सारे सिद्धांतो को ध्वस्त  करता है और यह एक जोकपाल से भी बदतर हे। बिल को लेकर प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया है जिसमें लिखा है कि दिल्ली लोकपाल विधेयक उन सभी सिद्धांतों को ध्वस्त करता है जिसका मसौदा हमने तैयार किया था जैसे नियुक्ति एवं पद से हटाना सरकार के अधीन न हो, लोकपाल के अधीन स्वतंत्र जांच एजेंसी। दिल्ली लोकपाल विधेयक को देखकर हैरानी हुई। नियुक्ति एवं पद से हटाना दिल्ली सरकार द्वारा, उसके अधीन कोई जांच एजेंसी नहीं, भारत सरकार की जांच करने का भी अधिकार, इसे असफल होने के लिए तैयार किया गया है।

नांमजूर हो जायेगा बिल और केंद्र को जिम्मेदार बता पल्ला छाड़ लेंगे केजरीवाल
इसके अलावा केंद्र सरकार को भी इस बिल के अंतर्गत लाना इसके असफल होने को दर्शाता है क्योंकि केंद्र सरकार इसे किसी भी तरह से मंजूरी नहीं देगी। केजरीवाल ने इसे बनाने में किसी की राय नहीं ली है। भूषण के अनुसार केजरीवाल इसे सोमवार को पास करेंगे और केंद्र सरकार को भेज देंगे जहां इसे नामंजूर कर दिया जाएगा जिसके बाद यह केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए रोएंगे।

 

 

 

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